Sunday, May 29, 2011

रामदेव बाबा को सत्ता सुंदरी का प्रेम पत्र

मेरे प्यारे चिरकुंवारे

जब से हमने सुना है आप को हमसे सियासी इश्क हो गया है हमारा दिल भी आप के लिये बेकरार है । जब आप करते हैं कपाल भांती कसम से हमे नीद नही आती । फ़िर सुना कि लखनउ मे आप को अर्धरात्री को अपनी  मेडिकल जांच करानी पड़ गयी तब से मन बड़ा बेचैन है । आप हमे पाने के लिये इतनी मेहनत कर रहें है और इधर हम हमारे मिलन के रास्ते मे आने वाली बाधाओ को लेकर बड़े चिंतित हैं । रूक्मणी की तरह आप हमे जब हरण करने  अपने हेलिकाप्टर रथ मे आयें इसके पहले आप को हमारे इतिहास और वर्तमान के बारे मे जान लेना चाहिये

हमारे महाराज लोकतंत्र ने राजनीति और नौकरी नाम की दो राजकुमारियो से शादी की थी । राजनीति से कांग्रेस बीजेपी और तीसरा मोर्चा नामक तीन पुत्र हुये और नौकरी से अफ़सर और बाबू नाम के दो पुत्र हुये । सब कुछ ठीक ही चल रहा था कि एक दिन आखेट मे महाराज से गलती से इमानदारी नामक गाय का वध कर दिया । श्रापित होकर महाराज का निधन हो गया और उनके साथ नौकरी भी सती हो गयी । राजनीति के बड़े पुत्र कांग्रेस ने स्वयंवर मे मुझे जीत लिया जीतकर जब वह मां के पास पहुंचा तो मां ने आदेश दिया कि पांचो भाई आपस मे बांट लो । तब से आज तक ये पांचो भाई मिल बाट कर मेरा सुख उठा रहे हैं । पर आप चिंतित न होना मुझे उर्वशी की तरह चिर यौवना होने का आशीर्वाद प्राप्त है।

जब आप मेरा हरण करने आयेंगे तब ये पांचो भाई अपने ठेकेदार दलाल आदि महारथी मित्रो के साथ आपसे भीषण युद्ध करेंगे इस युद्ध मे कोई नियम न होंगे। और हां यह बात भी याद रखें इनमे से किसी भी भाई से समझौता आपके पक्ष मे लड़ रहे योद्धाओ को तितर बितर कर देगा। आप जीत भी गये तो एक अड़चन होगी हमने अफ़सर और बाबू  की मां से वादा किया था कि हम इन्हे सदैव अपने आगोश मे रखेंगे और इनको नौकर कभी न कहेंगे सदैव अधिकारी कह ही बुलायेंगे आप को  इन पर स्नेह पूर्वक व्यहवार रखना ही होगा वरना आप हम से फ़िर दूर हो जायेंगे।

पर इन पाखंडवो से मुझे उतना भय नही जितना अपने सौतेले भाई मीडियासुर से है। वह  एक ऐसा योद्धा है जो कभी प्रत्यक्ष युद्ध मे भाग तो नही लेता पर अपने झूठ अफ़वाह जैसे महाअस्त्रो और बयान को तोड़ मरोड़ देने वाले ब्रह्मास्त्र से किसी भी योद्धा को मैदान मे उतरने से पहले ही परास्त कर सकता है। इसकी कपटी चालो का किसी के पास कोई तोड़ नही और इसे शिव जी से वरदान प्राप्त है कि जब तक  इंटरनेट नामक महाशक्ती  राज्य के गरीब से गरीब व्यक्ति को न मिल जाये तब तक इसे कोई नही हरा पायेगा और जिस दिन ऐसा होगा उस दिन यह स्वतः ही भस्म हो जायेगा। हमारे प्यारे बाबा हम इससे बचने का आपको एक उपाय बता देते हैं। सोनिया मम्मी की तरह आप कभी कोई बयान देना ही नही वरन घटिया बयानो के लिये दिग्गी मामू और अच्छे बयानो के लिये प्रनव दादा सरीखे अपने कार्यकर्ता खड़े कर देना सारे अच्छे बयानो का श्रेय आपको जायेगा,  और आपके समस्त घटिया बयानो का जहर दिग्गी मामू टाईप का कार्यकर्ता पचा जायेगा आप पर आंच भी न आयेगी

हमारे प्यारे बाबा हम कब से बेकरार हैं कि आप आयें और देश की गरीब जनता को तीन रूपये किलो मे पतंजली का च्वय्नप्राश खिलाये। वैसे एक बात कहें हम आपको हमारे  नजदीक आने देने के खयाल से  हमारी मां  के दिल मे बेचैनी सी होने लगती है। हमारी इटली माता कहती हैं कि इस  स्वामी ने आज तक देश सेवा मे किया क्या है महंगी टिकट बेच योग नही योगा सिखाना महंगे दामो मे दवाई बेचना। हमसे वे पूछती है कि इस बाबा ने आज तक जन सेवा का काम कौन सा किया है,  जन सेवा के नामो से सरकारो से बस जमीने ली हैं।  वे यह भी कहती है इसने जीवन मे जितने मरीज ठीक किये हैं,  उससे ज्यादा तो किसी भी जिले के सरकारी हस्पताल का डाक्टर भी कर चुका होगा।  खाली भूल चुके भारतीयो को उनके इतिहास और विद्या से परिचित कराया है इसने । पर हम साफ़ साफ़ उनसे कहते हैं हे मां इन पाखंडवो से तो अटल जी जैसा यह ब्रह्मचारी ही क्या बुरा है इसके भट्टाचार्य जैसा कोई दत्तक दामाद भी नही है खाली भाई वगेरह हैं पर वे भी कितना खा लेंगे पहले ही हजारो करोड़ बिखरा पड़ा है

प्यारे बाबा जवाहर लाल से मनमोहन तक आज तक हमें कोई युवा न मिला है। राहुल बाबा तो फ़्रेम मे नजर ही नही आते हैं वे तो करण जौहर जैसे बैचलर ही रहेंगे ऐसा लगता है।  पर आप मुझ तक पहुंचने से पहले यह याद रखें बाबा मेरे स्वयं वर का धनुष तोड़ते ही योद्धा राजीव गांधी की तरह शापित हो जाता है। और तो और मेरे आलिंगन मे बिंध सत्ता सुरा का मद आम आदमी की कौन कहे बाबाओ तक को उड़ा ले जाता है। मेरे आलिंगन मे बंध जो संयम रख सके जो निर्मोही हो और जो स्वामी हो न कि दास हो जाये ऐसे आदमी को ही भारत की जनता कालजयी स्नेह प्रदान करती है। जो राजधर्म का पालन करे और स्वयं का नुकसान होने पर भी अधर्म का साथ न दे वही मेरा चिर प्रियतम हो सकता है।  प्यारे बाबा पाखंडवो से ग्रसित भारत की जनता सहज ही टोल फ़्री नंबर पर मिस्ड काल कर आपके ध्वज तले युद्ध करने आती है संताप इतना है कि मिस्र की भाती परिणाम की चिंता भी नही है। पर मै यह भी सोचती हूं जो परिणाम इन पाखंडवो ने दिये हैं उससे बुरे तो आप चाह कर भी नही दे सकते यही सोच आपकी प्रतीक्षा मे रत।

आपकी हो सकने वाली

सत्ता सुंदरी

पुनःश्च

प्यारे बाबा याद रखें,  हरे और भगवा,  दलित और ब्राह्मण,  माओवादॊ से लेकर अतिवादी तक सब आपसे तभी प्रेम करेंगे जब आप समग्र हित का काम करेंगे । लालच मे किसी का साथ या किसी का त्याग क्षणिक लाभकारी है प्यारे बाबा पर लंबे समय मे आंखे फ़ड़्फ़ड़ाने से भी दोष दूर न होगा

Friday, May 27, 2011

नुक्कड़ चर्चा -- कसाब जी को कबाब और असीमानंद को रोटी

नुक्कड़ से आसिफ़ भाई का फ़ोन आया दवे जी जल्दी आओ शर्मा जी को बचाओ । आनन फ़ानन मे नुक्कड़ पहुंच माजरे को समझने की कोशिश करने लगा मामला समझ के बाहर था खाली कसाब और कबाब की आवाजें आ रही थी । मैने बीच बचाव करने की कोशिश की तो मुझे भी भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी के बाजू लगा दिया गया ।  दीपक भाजपाई  बोले  दवे जी  कांग्रेसीयो की तरह फ़र्जी धर्मनिरपेक्ष आदमी है सच तो इनसे कहा न जायेगा लोग ऐसे ही थोड़ी इनको पीटना चाहते हैं

 आसन्न संकट को भांपते हुये मै जोर से चिल्लाया भाई मामला क्या है यह तो बताओ । दीपक भाजपाई ने कमान अपने हाथ ले रखी थी जोर से बोले ये सेकूलर लेखक लोग भी  इस स्थिती के लिये जिम्मेदार है । हिम्मत जुटा मै भी भड़का  दीपक जी क्या यही सीखा संघ की शाखा मे सामने वाले को बात ही नही बताना सफ़ाई का मौका नही देना सीधे हमला भाजपाई हो या बजरंग दल के नेता

इस हमले को दीपक जी तैया न थे हड़बड़ाकर बोले तथाकथित कसाब जी के मुंबई हमलो मे शामिल होने की बात साबित होने के बाद भी उन्हे फ़ांसी क्यो नही दी जा रही  और कबाब भी खिलाये जा रहे हैं । असीमानंद को जबरजस्ती फ़सांया जा रहा है और जेल मे सूखी रोटी खिलाई जा रही है क्या ये सही नही है कि ये कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण करती है। मैने पूछा भाई सच सुनना है कि दबाव मे जैसे माया और मुलायम कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं वैसा ही समर्थन चाहते हो । सच मीडिया की सनसनी से बहुत दूर है सच यह है कि भारत एक संविधान के तहत काम करता है । न्याय की भी एक प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया मे हर आदमी को अपने को निर्दोष साबित करने का पूरा मौका होता है । पैसा न होने पर वकील भी सरकार नियुक्त कर के देती है और पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जा सकता है । ऐसी व्यवस्था न होने पर देश अंधेर नगरी चौपट राजा हो जायेगा । रही बात असीमानंद और साध्वी की दाल मे कुछ काला अवश्य है साध्वी के खिलाफ़ तो पुख्ता सबूत है । वरना इतने हाईप्रोफ़ाईल मामले मे पुलिस एकदम फ़र्जी केस खड़ा नही कर सकती । अगर फ़िर भी निर्दोष हैं तो वकील किये हैं कागज पत्तर ठीक ही बनाये होंगे प्रक्रिया के तहत छूट जायेंगे


रही बात कबाब और अंडा खिलाने की तो जेल मैनुअल मे प्रावधान है कि विदेशी कैदियो को विशेष सुविधाएं दी जाती है यह प्रावधान अंग्रेजो के काल मे यूरोपीय कैदियों को ध्यान मे रखकर बनाया गया था ये क्या पूरा संविधान ही उस समय के कानूनो से भरा पड़ा है । कांग्रेस और बीजेपी दोनो के राज मे ऐसे प्रावधानो को बदलने या सुधारने की जहमत नही उठाई गयी क्योंकि इसमे कोई वोट तो मिलना नही है । दीपक जी यदी आप चाहते हो तो पार्टी को लगाओ मैनुअल के सुधार के आंदोलन मे और शुरूवात अपने राज्यो से करो ।

दीपक भाजपाई आज हारने के मूड मे नही थे बोले अफ़जल गुरू के बारे मे आप क्या कहेंगे उसमे तो सारी प्रक्रियायें पूरी हो चुकी है उसे फ़ांसी क्यो नही दी जा रही। मैने कहा हां भाई आप सही कहते हो लेकिन एक बात भूल जाते हो भारत के अभिन्न अंग कश्मीर जहां का यह निवासी है वहां तनाव फ़ैला हुआ है । अलगाववादी ताकतें हरदम मौके की तलाश मे रहते हैं  किस बात पर जनता को भड़काया जाय । ऐसे मे अगर इसे फ़ांसी दे दी गयी तो शांती प्रक्रिया को क्या झटका न लगेगा । क्या अलगाव वादी ताकतें जनता को भड़्काने मे सफ़ल न हो जायेंगे  अफ़जल गुरू की एक जान के बदले हमारे कितने सैनिक कितने देश वासियो को जान से हाथ धोना पड़ेगा । और ये कसाब और अफ़जल गुरू क्या जेल मे ऐश कर रहे हैं काल कॊठरी मे बिना किसी से बात किये जीना कैसा होगा कभी सोचा है आपने


दीपक भाजपायी ने शिकायती निगाहो से मुझे देखा आखिर शर्मा जी को नीचा दिखाने का सुनहरा अवसर जो मैने छीन लिया था । मैने तत्काल क्षतीपूर्ती कर दी कहा वैसे कसाब को कसाब जी कहना  ओसामा जी कहना और मुंबई हमलो मे शामिल लोगो को आतंकवादी न कहना जैसी शर्माजी और राहुल बाबा के मामू दिग्गी की हरकत के बारे मे शर्मा जी के विचार पूछे जा सकते हैं । बस क्या था पूरा नुक्कड़ फ़िर शर्मा जी की फ़जीहत मे जूट गया ।

आसिफ़ भाई ने मुझे अलग ले जाकर पूछा मियां आपकी आखिरी चाल समझ न आयी । मैने कहा शर्मा जी ने पिछली तीन पार्टियां नही दी हैं कल कह रहे थे कि मुझे बचाने मे आपका कोई योगदान नही रहता है । आसिफ़ भाई ठठाकर हसें बोले ये बात ठीक है कांग्रेसियो को बीच बीच मे झटका न दो तो हवा मे उड़ने लगते हैं

Thursday, May 26, 2011

हल्कू बैगा ,मै और बाघ की नाक

हल्कू बैगा से मेरी मुलाकात सन १९९१ मे मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले के शाहपुर के पास एक छोटे से बैगा टोले मे हुई थी । मेरे एक मित्र प्रशांत नायक जिसे हम शिब्बू कहते थे को  जड़ी बूटी लेने के लिये  हर महिने वहां जाना पड़ता था और हरदम वह किसी न किसी साथी की तलाश मे रहता था और मै मुफ़्त मे जंगल घूमने और महुआ की मदिरा पीने के अवसर को नही छोड़ सकता था अतः हर महिने ह्ल्कू बैगा से मिलना तय था ।

हल्कू एक छोटे कद का गठीला अधेड़ आदमी था जिसकी दो पत्नियां थी जिसमे से छोटी महज २२ २३ साल की रही होगी । अपनी जड़ी बूटी की जानकारी बदौलत गांव मे ह्ल्कू एक बड़ी हैसियत वाला आदमी था  वह बैगा लोगो की जादू और टोने की शक्तियों का भी बड़ा जानकार था इस कारण से हल्कू से कॊई भी बैगा बिना कारण के नही मिलता था और खासकर उसकी छोटी पत्नि के पास नजर आ जाना दुर्भाग्य का सूचक माना जाता था
ऐसी परिस्थितियों मे मै और हल्कू नजदीक आये तो कारण केवल यह था कि एक समय  हल्कू मेरे बड़े पिताजी श्री ज्ञान शंकर दवे जो एक समय मंडला के वनमंडलाधिकारी थे के पास लम्बे समय तक काम कर चुका था और उनके सदव्यहवार का वह बहुत मान रखता था । एक कारण यह भी था की मै वन्यप्राणियो के व्यहवार के बारे मे सुनने के लिये सारी रात जाग सकता था और चूंकि हल्कू अपने जड़ी बूटियो की जानकारी स्थानीय बैगाओ तक नही जाने देना चाहता था तो ऐसे मे मै और शिब्बू  उसकी जंगल यात्रा के दौरान उसके लिये अच्छे कुली थे

हलकू के साथ जंगल यात्रायें
हल्कू के साथ घूमने के दौरान मुझे जंगल और उसके जीवो के बारे मे एक नया परिदृष्य सीखने का मौका मिला और हल्कू के साथ मैने जो खाना खाया वो किसी भी चीनी को शर्मिंदा करने के लिये काफ़ी है लेकिन मेरे मन के एक हिस्से मे एक शक हरदम से था कि हम जंगल का नुकसान कर रहे है ऐसे मे भारद्वाज (greater indian cocul) पक्षी के घोसले से पूरे अंडे लेते समय मेरा और हल्कू का झगड़ा हो गया मैने हल्कू धमकाया कि वो जो कर रहा है वह सही नही है और मै इसके खिलाफ़ हूं । ऐसे मे हल्कू जो की मुझसे अनुभव और उम्र मे बहुत आगे था उसने मुझे शांत किया और कहा हम कल बात करेंगे इस बारे मे । अगले दिन सुबह हम जब वापस वहां पहुचे तो हल्कू ने मुझे घोसले तक पहुचाया और पूछा कि घोसले मे अंडॆ है कि नही मैने पाया कि अंडे पूरे वापस आ गये है । इस घटना के बाद मेरा और हल्कू का विवाद २ साल तक नही हुआ लेकिन जब विवाद हुआ तो गहरा गया ।

विवाद था बाघ की नाक और उसके सूंघने की शक्ती के बारे मे हुआ ऐसा  कि  मैने एक किताब का अध्ययन किया था जिसमे वर्णन था कि बाघ की सूंघने की शक्ती बेहद कम होती है । मै और हल्कू उसके घर मे महुआ पीते हुए और देशी मुर्गा खाते हुए  हल्कू बहुत समय से मुझे जानकारी झाड़ रहा था । और चूंकि मै उसका एक तरह से शिष्य था तो मुझे उसकी पहुंच से दूर किसी विषय मे होशियारी झाड़नी थी तो ऐसे मैने बाघ की नाक का विषय छेड़ा । इस पर छूटते ही हल्कू ने कहा बाबू तुम शहर वाले क्या जानते हो बाघ न केवल सूंघ सकता है बल्कि वह मुह बिगाड़ कर हवा को धमकाता है तो हवा उसको सारी खबर दे देती है । यह सुन मै जोर जोर से हसने लगा शिब्बू  ने जो जादू टोने पर बड़ा विश्वास रखता था उसने मुझे धीरे से चेताया भी पर मै  महुए की तरंग मे और अपनी किताबी होशियारी मे मगन था । मैने इस बारे मे ह्ल्कू से  शर्त लगा ली शर्त लगी मेरी घड़ी की और शिब्बू के पिताजी की दो महिनो की जड़ी बूटी की
हल्कू बैगा जिसने साबित किया कि बाघ हवा में चीजों को भाँप लेता हैं- यह वाकया जितना रोमांचकारी था उससे कही ज्यादा खतरनाक-  चलिए इस बैगा की जोखिम भरी प्रयोगशाला में हम भी साथ है!...............
गली सुबह जब नींद खुली तो मुझे रात की शर्त का कोई हिस्सा याद नही था पर हल्कू ने इस बात को दिल पर ले लिया था । शिब्बू जिसे दो महिने की दवायें मुफ़्त मे मिल सकती थी और हारने पर घड़ी तो मेरी जानी थी को शर्त की सारी बात याद थी ऐसे मे मेरे पास कोई रास्ता शेष न था फ़िर किताबी  जानकारी तो मेरे ही पक्ष मे थी अतः मै एक बार फ़िर अपनी बात पर अड़ गया । तय फ़िर यह हुआ कि दो दिनो के भीतर हल्कू इस बात को सिद्ध करेगा कि बाघो की सूंघने की शक्ती बहुत विकसित है ।

बस फ़िर क्या था हम दो दिनो का राशन  लेकर निकल पड़े शाम ढलने तक करीब चार बजे हमने पड़ाव डाला । हल्कू अभी आता हूं कह के गायब हो गया हमने आग जलाई और  रास्ते मे एकत्रित भोजन सामग्री के साथ भोजन तैयार करने मे जुट गये । रात करीब आठ बजे ह्ल्कू वापस आया और हम सभी खाना खा कर सोने के पहले बातचीत करने लगे इस समय तक शर्त को लेकर मेरा आत्मविश्वास थोडा डगमगाने लगा था । ऐसे मे मैने ह्ल्कू कॊ अपने बड़े पिताजी की याद दिलायी और कहा आपस के लोगो मे शर्त ठीक नही इस पर हल्कू ने कहा बाबू आपको अभी दुनिया देखनी है और बैगा अपनी जबान से कभी पीछे नही हटता अतः शर्त अपनी जगह कायम है


अगले दिन अल सुबह हल्कू फ़िर गायब हो गया लौटा तो नौ बज चुके थे आते ही उसने हड़बड़ी शुरू कर दी और हमे लेकर रवाना हो गया कुछ दूर जाकर हल्कू ने हमे पेड़ पर चढ़ा दिया और फ़िर गायब हो गया । उसका ऐसा व्यहवार नया नही था पर ऐसा वो तभी करता था जब वह बाघ के शिकार मे से एक हिस्सा हमारे खाने के लिये चुरा लाता था । पर इस बार वह एक बच्चो वाली बाघिन के इलाके मे ऐसा कर रहा था और ऐसा पहले कभी नही हुआ था
इन सब बातो पर चर्चा हो ही रही थी कि हल्कू नजर आ गया इस बार वह खाली हाथ था । उसने हमे आवाज दी और हम उसके पीछे हो लिये कुछ दूरी पर आसमान मे गिद्धो के नजर आते ही मै समझ गया कि मामला गंभीर ह।  हल्कू तेजी से आगे बढ़ रहा था बेहद तेजी से सोचने का समय ही नही था अचानक सेमल के पेड़ के पास घास के  झुरमुट के सामने वह रुका और जब वह लौटा तो उसकी पीठ पर एक मादा चीतल का शव था  । उसका कुछ  ही हिस्सा बाघ ने खाया था  हल्कू की गति अब पहले से भी तेज थी और बात बात मे वह पीछे मुड़ कर देखता था । उस जगह से कुछ दूर जाने के बाद एक मैदान आया उस मैदान को पार करने के बाद हल्कू ने मुझे कहा बाबू अब जल्दी चलना होगा बाघिन अपना शिकार खोजती आयेगी और हम सुरक्षित जगह से  दूर है । अतः हम सभी तेजी से बढ़ चले कुछ दूर बाद फ़िर एक मैदान आया इस बार हल्कू सीधे न जाकर घुमावदार रस्ते पर चलने लगा १० मिनट  मे तय हो सकने वाला सफ़र आधे घंटे मे तय हुआ हल्कू ने उस मैदान को पार करने मे जान बूझ कर समय बर्बाद किया था । खैर  हम सभी खेतो की रखवाली करने के लिये बनी करीब १०-१२ फ़ुट उंची मचान पर जा कर बैठ गये हल्कू फ़िर उतरा और और उसने जल्दी से लकड़ी एकत्रित कर मचान के एक कोने मे आग जला ली । दिन मे मचान पर आग जलाना मेरी समझ से हल्कू का बाघिन का ध्यान आकर्षित करने  की चाल थी पर इस बात को मैने शर्त हारने के बाद विवाद खड़ा करने के लिये सुरक्षित रख लिया  ।

जब बाघिन और उसके शावकों ने हमारे मचान के नीचे उड़ाई दावत
कुछ ही समय बाद जिस दिशा से हम आये थे उसी दिशा से चीतल की सावधान करने वाली आवाज सुनाई दी । कुछ ही समय बाद एक बाघिन उस रास्ते पर प्रकट हुई जिस पर हम आये थे उसके पीछे उसके दो किशोरवय शावक भी थे । तीनो ठीक उसी रास्ते पर थे जिससे पर हम चलकर आये थे अब मुझे हल्कू के मैदान घुमावदार रास्ते पर चलने का राज समझ मे आ गया था हल्कू मेरे पास घड़ी न देने का कोई भी बहाना नही छोड़ना नही चाहता था । बाघिन निश्चित ही हमारा अनुसरण कर रही थी और वह वाकई रास्ते मे बार बार मुह बिगाड़ कर गुस्सा करती प्रतीत हो रही थी और ऐसा वह हमे देख या सुन कर नही कर रही थी वरना वह एक दम सीध मे आसानी से हम तक आ सकती थी । कुछ ही देर मे बाघिन मचान के ठीक नीचे अपने दोनो शावको के साथ थी महज कुछ फ़ुट की दूरी से उनको देख कर मुझे घड़ी के साथ जान भी जाती नजर आयी तभी बाघिन जोर से दहाड़ लगाई । हल्कू ने तुरंत हिरण नीचे फ़ेक दिया बाघिन तो हिरण लेकर  पीछे हट गयी पर किशोरवय नर शावक मचान पर चढ़ने की कोशिश करने लगा हर छलांग के साथ वह और उपर पहुंच रहा था । हल्कू के हाथ मे जलती हुई लकड़ी तो थी पर वह उसका इस्तेमाल नही कर रहा मैने लकड़ी खीचने की कोशिश की तो उसने मुझे जलती लकड़ी दिखाकर पीछे ढकेल दिया । तभी बाघिन ने चेतावनी भरी आवाज निकाली तो शावक गुर्राता हुआ पीछे हट गया । मां और दोनो शावक वही हिरण की दावत उड़ाने लगे और मैं गुस्से से हल्कू को घूर रहा था पर बाघिन के डर से मेरे मुह से कोई आवाज नही निकल रही थी और रही बात मेरे शिब्बू की तो मेरे अंदाज  से वो अर्धमूर्छा की स्थिती मे था ।  करीब दो घंटे के बाद बाघिन बचे खुचे हिरण को लेकर शावको के साथ वहां से निकल गयी ।

 बाघिन के नजरों से ओझल होने के कुछ समय बाद वापस लौटते वक्त मैने हल्कू से गुस्से से कहा कि उसने शावक कॊ जलती हुई लकड़ी से क्यों नही भगाया ।  इस पर हल्कू ने मुसकुराते हुये जवाब दिया बाबू उस शावक के मुह से निकली एक दर्द भरी आवाज को सुनते बाघिन एक क्षण मे मौत बनकर हमारे सर पर पहुंच जाती दस बारह फ़ुट की उंचाई उस बाघिन के लिये कोई मायने नही रखती ।  लकड़ी हम केवल बाघिन पर ही मार सकते थे शावको पर नही । पर मैने कहा कि हो सकता था बाघिन रात तक वहां से नही जाती फ़िर इस पर उसका जवाब था बाबू मचान से तीन कोस आस पास कहीं पानी नही है ऐसे मे दोपहर के वक्त मांस खा कर बाघिन इससे ज्यादा रुक नही सकती थी । इस पर भी मेरा गुस्सा शांत नही हुआ मैने उससे कहा कि तुम उस हिरण कॊ मचान से दूर भी छोड़ सकते थे मचान तक लेकर क्यों आये उसने कहा बाबू आज तुमने  जो बाते सीखी है वे अनमोल है तुम्हारे जीवन मे बहुत काम आयेंगी तुमको जंगल घूमने का नशा है तुमको ये चीज सिखाना जरूरी था।  और फ़िर आज के बाद तुम भूलकर भी कभी शर्त भी नही लगाओगे यह कहकर वह ठठाकर हसने लगा और मै भी बाघिन को भूल कर उस घड़ी के बारे मे सोचने लगा जो मेरे पिताजी की थी और मै बिना बताए पहन आया था

मैने तुरंत गिरगिट की तरह रंग बदला और हल्कू से लिपट गया मैने कहा हल्कू आज से तुम मेरे भाई हो आज के बाद हम दोनो सदा एक दूसरे के काम आयेंगे ।  ह्ल्कू ने हसते हुए कहा बाबू मै तुम्हारे साथ बहुत लंबे समय से घूम रहा हूं शहर मे आदमी जिंदगी साथ गुजार ले पर एक दूसरे को नही जान पाता है पर जंगल मे केवल कुछ समय मे आदमी का व्यहवार समझ लेता है निकालो मेरी घड़ी । इस पर दुखी मन से मेरी घड़ी जिसके वापस घर ना ले जाने पर मेरी पिटाई निश्चित थी मैने हल्कू को दे दी

अगले दिन सुबह वापस लौटते समय हल्कू मे शिब्बू कॊ जड़ीबूटी दी और मुझे मेरे मन पसंद जंगली फ़लॊ का टोकरा दिया और मुझसे कहा बाबू किताब मे दिया हुआ ज्ञान हरदम सही नही होता है अपना दिमाग भी लगाना पड़ता है जरा सोचते तो जिस बाघ को अपना इतना बड़ा इलाका संभालना पड़ता है वह बिना सूंघे दूसरे बाघो के बारे मे कैसे जान पायेगा बाबू हम लोग बोल कर जानकारी बाटते है बाघ जंगल के नॊटिस बोर्ड पर गंध सूंघ कर ही ऐसा करते क्यो बाघ हर बारिश के बाद पॆड़ो पर अपना मूत्र छोड़ते है क्योंकि बारिश से गंध मिट जाती है । और शिकार किस दिशा मे गया है यह बाघ को कैसे मालूम पड़ेगा या जिस दिशा मे वह जा रहा है उससे पहले उसमे कौन सा जानवर गया है यह बाघ को कैसे मालूम पड़ेगा

घर लौटते समय जब मैने फ़लो का टोकरा खोला तो सबसे उपर मेरी घड़ी थी । इस घटना के बाद कई बार मै और हल्कू साथ जंगल मे घूमने गये पर शिब्बू फ़िर कभी हमारे साथ नही गया । इस घटना के ३ वर्षों बाद हल्कू और उसकी छोटी पत्नी भालूओं के हमले मे मारे गये और इसके  अनेको वर्ष बाद मुझे फ़्लेहमेन रिसपांस और जैकबसन आर्गन के बारे मे मुझे मालूम पड़ा जिससे हल्कू के मुंह बिगाड़ने से हवा के द्वारा राज उगलने की सच्चाई ज्ञात हुई ।

Wednesday, May 25, 2011

नुक्कड़ चर्चा - बाबरी मस्जिद की तर्ज पर नुक्कड़ का बटवारा

नुक्कड़ से सड़क सुंदरिया निहारने के लिये स्वर्णिम सीट पर आसिफ़ भाई बैठने ही वाले थे कि दीपक भाजपाई ने प्रतिवाद किया बोले मियां आपका एक तिहाई हिस्सा इधर है आसिफ़ भाई भी हार मानने वालो मे से नही थे मै अपने एक तिहाई मे ही बैठ रहा हूं इतने मे रामलला विराजमान टाईप मै उस जगह विराजमान हो गया । सोहन शर्मा जी ने बीच मे दांव लगाया दवे जी उठो अभी सुप्रीम कोर्ट मे मामला विचाराधीन है जगह सरकार के कब्जे मे रहेगी अतः वहां कांग्रेसी होने के नाते मै बैठूंगा । शर्मा जी इतने मे ही चुप न हुये बोले आसिफ़ भाई आप भूल गये कांग्रेस न होती तो ये भाजपाई लोग कब का पूरा नुक्कड़ ही हड़प गये होते अतः आप इस भाजपाई को यहां न बैठने दे और दवे जी का क्या है मुफ़्त मे बोलते लिखते रहते हैं ये तो कही फ़्रेम मे है ही नही । आप चुनावों की तरह इस जगह बैठने के लिये मेरा ही समर्थन करें ।


मैने कहा भाई मै तो अन्ना हजारे की तर्ज पर बैठ ही गया हूं हिंदू मै हूं आसिफ़ भाई मुसलमान हैं आप और दीपक पूरे मामले पर बहस करें । जो अपनी पार्टी को अच्छा सिद्ध कर देगा हम उसके लिये जगह खाली कर देंगे तब तक  हम दोनो सिमट कर यहीं बैठ सड़क का मजा लेते रहेंगेशर्मा जी ने सीना फ़ुलाया बोले ये मामला तो बहस तक पहुंचता ही नही है । अपने गौरव शाली इतिहास मे आजादी  से लेकर आज तक कांग्रेस ने धर्मनिर्पेक्षता और विकास की राजनीति की है । सदा ही हमारी पार्टी ने राज धर्म का पालन किया है ।

मैने कान खुजाते धीरे से पूछा भाई जब तुम्हारी पार्टी सोमनाथ मंदिर की जगह पर खड़ी मस्जिद को दूसरी जगह शिफ़्ट कर दिया था तो उसने उसी समय बाबरी मस्जिद को भी शिफ़्ट क्यों नही कर दिया उस समय इस बात पर देश मे कोई विवाद न था और मुसलमान भी सहमत थे कि इससे देश मे भाई चारा स्थापित होगा । इतना कह मैने आसिफ़ भाई को धीरे से कोचका आसिफ़ भाई तुरंत तनतना गये बोले तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई थी सोमनाथ मंदिर वाली मस्जिद को शिफ़्ट करने की मुंह मे अल्लाह और बगल मे शिव जी वाह रे कपटी कांग्रेस


कांग्रेस पर हुये इस आतंकवादी टाईप हमले से शर्मा जी लड़खड़ा गये बोले वो क्या है बात इतिहास की है मै नया नेता हूं इस मामले मे कोई बयान न दे पाउंगा मैने कहा शर्मा जी फ़िर गर्वीला इतिहास बताना बंद करो अपनी पार्टी की आज की करतूतो पर बात करो । इतने मे दीपक भाजपाई ने सुनहरा अवसर लपक लिया बोले भाइयो भाजपा ही आज देश की सबसे अच्छी पार्टी है और देश मे तुष्टी करण की राजनीति को छॊड़ स्वस्थ राजनीती हमारा उद्देश्य है आज बाबरी मस्जिद वाला मामला यहां तक पहुंचा है तो हमारी पार्टी की ही पहल है । फ़िर दीपक जी धीरे से बोले हम न होते तो मस्जिद आज भी वहीं मुह चिढ़ाती खड़ी रहती और इसी लिये भारत की जनता हमे इतना चाहती है  कांग्रेस भ्रष्ट है हम इमानदार हैं । दीपक की बातो से साफ़ था आसिफ़ भाई के वोट की उसे उम्मीद ही न थी 

आसिफ़ भाई कुछ कहते कि मैने कहा यार दीपक ये तो बता यदि ऐसा है तो क्यो आडवानी जी मस्जिद गिरने के दिन को सबसे काला दिन बताते हैं । कहीं ऐसा तो नही कि कार्यकर्ताओ से गलती हो गयी और आपके नेता मस्जिद दिखा दिखा कर वोट पाना चाहते थे  । मिस्टर भाजपाई धर्म के जनसैलाब का खरगोश रेस हरदम  हार जाता है और इमानदारी पूर्वक विकास का कछुआ अंत मे जीत ही जाता है । यदि ऐसा न होता तो बाबरी मस्जिद केस मे सरकारे भंग करने के बाद के चुनावो में हिंदु बहुल प्रदेशो मे आप न हारते । दीपक से कुछ कहते न बना इतने मे शर्मा जी बोले संविधान और कानून मे हमारी पार्टी विश्वास रखती है ये लोग नही देखा नही गुजरात के दंगे मे क्या किया था । अब आसिफ़ भाई से न रहा गया बोले शर्मा जी सिख नरसंहार पर आपका क्या कहना है और संविधान और कानून मे इतना ही भरोसा था तो काहे नही 50 सालो मे फ़ैसला करवा लिया मस्जिद टूटने आंदोलन करने की नौबत ही क्यो आयी मतलब तो एक दम साफ़ ही है । आप दोनो की नीयत मे खोट है । और रही बात इमानदारी को आपकी पार्टी तो सर्व भ्रष्ट है ।


अब शर्मा जी और दीपक ने एक राय हो चढ़ाई कर दी बोले अब क्या सिविल सोसाईटी और बाबा लोग फ़ैसला करेंगे और तब तक आप इस बैठे रहेंगे मैने कहा नौबत तो आप लोगो ने ये कर दी है कि आदमी एक बार काले कौवें पर भरोसा कर ले पर आप पर न करे इस लोकतंत्र को कितने अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा सकता है ये आप लोगो मे दिखा दिया है । रही बात फ़ैसले की वह तो सुप्रीम कोर्ट कर ही देगा । रही बात अभी की तो अभी तो सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय यही दिया है कि यथा स्थिती बरकरार रखी जाय सो अभी नुक्कड़ की स्वर्ण सीट पर हम दोनो का ही कब्जा रहेगा ।

Sunday, May 22, 2011

भाई सोहन शर्मा और स्पीक एशिया की एजेंसी

नुक्कड़ पर शर्मा जी ने लोगो को जमा किया सबको मिलावटी बेसन के भजिये परोसे और शुरू हो गये दोस्तो आज हम सभी के पैसा कमाने का सुनहरा मौका हाथ लगा है । एक कंपनी है स्पीक एशिया 11 हजार रूपये जमा करने पर यह कंपनी महिने मे आपकॊ आठ सर्वे करने देगी जिसके आपको ४ हजार रूपये मिलेंगे सवे का काम आसान है खाली कमप्यूटर पर बैठ कर 5 मिनट मे फ़ार्म भरा जा सकता है । फ़िर शर्मा जी ने धीरे से आंख मारी अब आप फ़ार्म लोगो से पूछ कर भर रहे कि मन से कंपनी को क्या मालूम पड़ना है । आसिफ़ भाई मेरे कान मे फ़ुसफ़ुसाये यार जब कंपनी शर्मा जी को आंख मारेगी तब बड़ा मजा आयेगा मैने कहा छोड़ो भाई अपन क्यों बुरा बने । शर्मा जी बोल रहे थे खुशी की बात है कि एक आदमी जितने चाहे उतने सर्वे का काम ले सकता है खाली हर नये एग्रीमेंट के लिये नये 11 हजार रूपये जमा कराने होंगे । मान लो आप दस एग्रीमेंट करते हो तो एक लाख ग्यारह हजार जमा करने से हर महिने केवल आधे घंटे कमप्यूटर पर काम कर आप 40000 रू. कमा सकते हो ।

इतना सुनते ही सभा मे खलबली मच गयी एक ने पूछा शर्मा जी भुगतान कैसे होगा । शर्मा जी ने समझाया भाई ऐसे तो भुगतान मे दो से तीन महिने का समय लगता है कारण कि कंपनी विदेश की है । आर बी आई से एप्रूवल से लेकर तमाम टैक्स करके 6 % पैसा भी कट जाता है उसमे पर कंपनी ने एक अच्छा रास्ता भी निकाला है । जैसे मै सदस्य हूं और मैने आपको सदस्य बनाया तो आपके 11 हजार रूपये रूपये मे से मै अपनी बकाया रकम रख सकता हूं इससे टाइम भी कम और एक नये दोस्त को लाभ भी पहुंचता है

शर्मा जी धड़ाधड़ सवालो के जवाब दे रहे थे और जनता भी खुश थी कि अचानक मैने अपने आप को जोर से बोलते सुना भाइयों इस मे मत फ़सना सरासर धोखा है । तुमको कोई रसीद भी नही मिलेगी जिस दिन नये सदस्य नही बनेंगे तुम्हारा पैसा डूब जायेगा । जब तक मै अपना मुह बंद कर पाता शर्मा जी मेरे सामने खड़े मुझे खूनी निगाहो से देख रहे थे बोले इस बार दवे जी सारी हद पार कर दी आपने अब आपको पीटना समाज के हित मे जरूरी हो गया है मै इन गरीबो का भला कर रहा हूं और बात आपको नही पच रही है । मै कुछ कह पाता उसके पहले लोगो ने शर्मा जी को घेरा तरह तरह के नये सवाल पैदा हो गये शर्मा जी ने सबको शांत किया बोले कल मै कंपनी के अफ़सर को लेकर आउंगा फ़िर तुम लोगो के मन मे कोई शक न रहेगा ।

 इससे पहले कि शर्मा जी पीटते  मै चिल्लाया मेरी बात सुन लो फ़िर भले पीट देना । शर्मा जी ज्यादा पका हुआ फ़ल सड़ा होता है जिस भारत मे 4000 रूपये मे महिने भर कमप्यूटर चपकाने वाला घर घर जा कर सवाल पूछने वाला कर्मचारी मिल जाता है । कोई क्यों फ़ोकट मे आपको पैसा देगा वो भी एक को नही जितने आ जाय उतने को । आप इंडिया टीवी छोड़ के दूसरे टीवी देखते तो आप को एक हफ़्ते पहले इस कंपनी का पूरा कच्चा चिठ्ठा सुनने मिल जाता । शर्मा जी ने प्रतिवाद किया कल तो मैने कई चैनलो मे कंपनी का एड देखा है । मैने कहा शर्मा जी अपनी अकल तो लगाओ जो मीडिया पैसे खाकर किसी भी दल के पक्ष मे हवा बना देता है कंपनियो से विज्ञापन लेकर उनकी काली करतूते दिखना बंद कर देता है वो क्या इससे पैसे लेकर इसकी खबरे दिखाना बंद नही कर देगा और ये कंपनी तो महा मूर्ख है पहले ही एड दे देती तो साल भर और नोट बटोरतीशर्मा जी ने सर पकड़ लिया बोले इस देश मे भगवान रह ही नही गया है मैने कहा भगवान बिलकुल है और आप जैसे मूर्खो को ऐसे ही सजा देता है

इतना सुन शर्मा जी फ़िर भड़क गये बोले दवे जी अगर मुह बंद ही रख लेते आधे घंटे तो मेरा पैसा तो निकल जाता मैने अब सीना फ़ुलाया और बोला आप के अलावा कोई और होता तो मै कुछ न बोलता पर आप अपने हैं इसीलिये बोला । शर्मा जी उलझन मे पड़ गये मै कुछ समझा नही मैने कहा भाई आप और आपके जैसे कई लोग अपना पैसा दूसरो को टोपी पहना के निकालने की कोशिश कर रहें है पर सिर्फ़ ११ हजार रूपये के लिये किसी की आह लेना क्या ठीक है । क्या पैसा डूबने पर वो आप तंगायेगा नही  । मेरे जैसा कमजोर आदमी हुआ तो टन भर आपको मोटी मोटी गालियां जरूर देगा क्या आप ऐसा चाहते थे ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष हो नाम नही खराब हो जाता आपका । शर्मा जी ने मुझे गले लगा लिया दवे जी मुझे माफ़ करे मैने कहा रात हो तो खिला पिला कर हिसाब साफ़ करें ।


खर्चे ली बात सुन शर्मा जी का दिल फ़िर डूब गया बोले हाय गया मेरा 22 हजार रूपया मैने दिलासा बंधाया कही नही गया अच्छी जगह खर्च हुआ है शर्मा जी फ़िर भड़क गये बोले ऐसा पैसा डूबना अच्छा है साबित कर दो तो रात की पार्टी पक्की मैने कहा यार शर्मा जी बचपन से लेकर जवानी तक जहां भी आपने पढ़ाई की फ़ीस पटाई कि नही पर वो सब पढ़ाई आपको होशियार न बना सकी इसलिये ये आपने 22 हजार  फ़ाइनल  फ़ीस पटाई आज के बाद आप को कोई मामू न बना सकेगा । इतना कह मैने चैन की सांस ली पिटाई से भी बचा और रात की पार्टी तो नक्की हो ही गयी ।

Saturday, May 21, 2011

दिग्गी मामा नही ये मामू है मम्मी का रामू है- भाग एक


राहुल बाबा मम्मी के पास आकर रोने लगे मम्मी ने चुप कराते हुये पूछा क्या हुआ राजकुमार । राहुल बाबा ने शिकायत की मेरा यूपी बाल उद्यान एक दम उजड़ गया है । मम्मी ने कहा चिंता मत करो राजकुमार रामू काका को साथ ले जाओ वे उसे चमन कर देंगे । बाबा अचरज मे पड़ गये बोले अरे ये तो दिग्गी मामू हैं आप इन्हे रामू काका क्यों कह रही हैं । मम्मी ने घबरा कर यहां वहां देखा और बोली बेटा इनसे सार्वजनिक नजदीकी अच्छी नही इनको रामू काका ही कहना । राहुल बाबा अड़ गये पर रामू काका ही क्यों मम्मी ने समझाया बेटा कुछ नाम अमर हो जाते हैं । उदाहरण के लिये एक अमर सिंह साहब है जिनका नाम हरिराम नाई पड़ गया । बाबा अभी भी न समझे बोले ये सिंह अमर क्यों हो गये । मम्मी ने पौराणिक कथा सुनाई एक मुलायम परशुराम थे उन्होने कसम खायी मै धरती से सिंह को मिटा दूंगा । लड़ते लड़ते जब सिंह की तलवार घिस गयी तब वे रामू काका के पास गये काका ने सलाह दी इस घिसी हुई तलवार से तो केवल बाल ही काटे जा सकते हैं अतः आप नाई बन जाओ । कालांतर मे शोले फ़िल्म आयी तब से सिंह साहब का नाम हरिराम नाई हो गया । और ये वाले हरिराम आपको नये पौधे उगाने के लिये तरह तरह की खाद देंगे ।


राहुल बाबा खुशी खुशी यूपी बाल उद्यान पहुंचे रामू काका ने उन्हे एक पौधा दिया ये पौधा फ़लो से लदा हुआ था । देख्ते ही बाबा ने किलकारी भरी वाह ओसामा पौधा मजा आ गया । सकपकाये रामू काका ने यहां वहां देखा और बाबा को समझाया गजबे करते हैं राजकुमार ओसामा जी बोलिये वरना फ़ल गायब हो जायेंगे और इसमे कांटे उग जायेंगे । बाबा का मन न भरा बोले चलो ब्राह्मण वट व्रुक्ष लगायें रामू काका पसीना पसीना हो गये बाबा इसका पेड़ नही लगाना है केवल बोनसाई लगाना है आप तो पूरा बाग फ़िर से उजाड़ दोगे । आप एक काम करो मोहन दादा के साथ बुदेलखंड वाला हिस्सा घूमने जाओ और वहां आश्वासन के कई पेड़ लगा कर आना । राहुल बाबा बिफ़र गये मेरे पापा से भी आप लोगो ने यही कहा था वहां जाता हूं तो लोग कुछ बोलते तो नही हैं पर उनकी सूनी आखें 60 सालो का हिसाब मांगती हैं । हमारी राज परिवार के लगाये पेड़ फ़ल कब देंगे ।
 रामू काका को बाबा के मुख से निकली गंभीर बाते अच्छी न लगी बोले चलो बाबा हाथी की सवारी कर आते हैं पूरे उद्यान मे उसकी मूर्ती लगी है । बाबा गुस्सा हो चुके थे बोले रामू काका अब मै केवल आयातित पेड़ लगाउंगा विकास का परमाणू पेड़ उगाउंगा रामू काका बोले बेटा अभी इस उद्यान को हरा भरा तो होने दो जब यहां का फ़ल हमको मिलेगा फ़िर हम सब कुछ करेंगे अभी तो हमको यहां बाटला हाउस का कैक्टस मालेगांव का बेशरम और ऐसे बहुत से पौधे उगाने होंगे । मुस्लिम तुष्टीकरण वाली घांस की तो जगह ही नही है उसके लिये माया की मूर्ती और साईकिल स्टैंड को तोड़ना हॊगा ।
और हमारे हरीराम नाई जी भी वक्त जरूरत छटाई का काम कए ही सकते हैं ।

 अगला भाग

मम्मी और दिग्गी मांमू भाग दो - रामू काका और राहुल बाबा का गीता संवाद

Friday, May 20, 2011

दीपक भाजपाई और स्वामी अग्निवेश की पिटाई

नुक्कड़ पर जमा भीड़ अग्निवेश हाय हाय का नारा लगा रही थी बीच बीच मे दीपक भाजपाई बिनायक सेन हाय हाय का नारा भी जोड़ रहा था आसिफ़ भाई कोने मे बैठे चैन से कार्बाईड मिले आम रस का मजा ले रहे थे मै भी उनके बाजू जा कर बैठ गया पूछा मिया आप जमाने से अलग ऐसा कैसे आसिफ़ भाई ने अफ़सोस जाहिर किया यार नारे तो मैने ही लिख कर दिये हैं पर नारे लगाने मे रिस्क है । आंय रिस्क कैसा आसिफ़ भाई बोले तू तो जानता ही है अलकायदा वाले  अगर मेरे को अमरनाथ पूजा के समर्थन मे नारे लगाते देख लेंगे तो मेरे खिलाफ़ तो फ़तवा ही जारी कर देंगे । क्या है ओसामा के मरने के बाद अल कायदा की गद्दी पर बैठने के लिये लोगो की होड़ लगी है ऐसे मे रिस्क लेना ठीक नही । मै भी ताजा ताजा जागो हिंदू सेना के लफ़ड़े से बाहर आया था और श्रीमती ने भी चेतावनी दे रखी थी "अब किसी जगह आपके पिटने की नौबत आई तो मै अपने भाई को न बुलाउंगी वे अपना काम करें कि आपको बचाते फ़िरें "अतः मै भी आसिफ़ भाई के बाजू मे बैठ गया ।

तभी मेरी कुंडली के ग्यारहवे स्थान पर बैठे शनि भगवान ने लोगो का ध्यान मेरी ओर आकर्षित किया लोग भी नारे लगाते लगाते थक चुके थे सबने मुझे घेरा । दीपक भाजपाई जोश मे था बोला दवे जी हर मामले मे जमाने से उल्टा बोलते हो जरा इस पर भी बोल के दिखाओ वरना अग्निवेश हाय हाय का नारा लगाओ । मै जवाब ही सोच रहा था कि मेरे अंदर के व्यंग्यकार ने गड़बड़ कर दी नारा लगा दिया रमन सिंग हाय हाय । सारे लोग खामोश हो गये दीपक भाजपाई के गुस्से का ठिकाना न था बोला लगता है बिना पिटे आपको मजा नही आ रहा है क्यों बाहर वाले पीटे भाईयो ये शुभ काम हम ही क्यो न करें


मै सतर्क हो चुका था भाइयो पहले मेरी बात सुनो फ़िर चाहो तो मुझे पीट लेना । मैने कहा ये अग्निवेश इसको कुता भी नही पूछता था इसको लाईम लाईट मे लाया कौन रमन सिंग विनायक सेन को पब्लिक हीरो किसने बनाया रमन सिंग ने । मैने कहा भाइयो  विनायक सेन को आज दुनिया भर मे पुरूस्कार मिल रहे है छीकता भी है तो न्यूज बन जाती है ऐसा क्यों है ऐसा इसलिये है कि I A S और I P S  के पापा रमन सिंग को अपने बच्चो की बात सच लगी बिना मतलब के विनायक सेन पर केस करवाया और इस अग्नीवेश को यहां वहां जाने से रोका दोनो हीरो बन गये वरना छत्तीसगढ़ के लफ़ड़े के पहले इन दोनो की कोई खबर किसी जगह न छपती थी बोलते रहते जो मन चाहे । मै भी बोल रहा हूं अभी रमन सिंह के राज मे भ्रष्टाचार चरम सीमा मे है पर क्या ये खबर कहीं छपेगी क्या नही न ।

बात रमन सिंह तक पहुंचने पर दीपक भाजपाई सतर्क हो गया उसने बात की दिशा मोड़ दी बोला दवे भाई इस अग्निवेश ने ऐसा बयान दिया ही क्यों । मैने जवाब दिया भाई दीपक दोषी को जान जाओगे और उसके खिलाफ़ नारा लगाओगे तो कहीं के न रहोगे । दीपक ने सीना फ़ुलाया हम भाजपाई कभी पीछे नही हटते मैने कहा बंगारू लक्ष्मण से लेकर जूदेव तक रास्ता पीछे का ही है इस मामले का दोषी बड़ा खतरनाक है


बात को बिगड़ता देख दीपक भाजपाई बोला यार बात बर्फ़ानी बाबा की बुराई करने वालो को पीटने की हो रही है उसका दोषी कौन ये बतायें मैने कहा भाई बात को समझो एक तो अग्निवेश हिंदू धर्म की अद्वैत शाखा का समर्थक है जिसमे इस्लाम के जैसे निराकार निर्गुण रूफ मे ईश्वर की अराधना की जाती है और मूर्ती रूप मे ईश्वर की पूजा को गलत माना जाता है । दूसरे कैमरा देखते ही उसकी अकल चलना बंद हो जाती है और जबान चलना चालू । ऐसे मे भारत की परम शक्तीशाली गुणॊ से सराबोर मीडिया के किसी बंधु के मन ये दिव्य विचार उतपन्न हुआ कि स्वामी मुहफ़ट जी से यदि यह पूछा जाय कि बर्फ़ीला शिवलिंग पिघल चुका है और उसके बदले मे क्रुत्रिम बर्फ़ से नया बनाया गया है तो वे निश्चित ही परम प्रतापी बयान दे देंगे और उस बयान को मनचाहे रूप से कांट छांट कर ऐसी जबर दस्त बाईट मिलेगी की पूरा हिंदू समाज सनसना उठेगा और टी आर पी का मीटर ठनठना उठेगा । और  ऐसा ही हुआ नतीजा तुम्हारे सामने है ।

बस फ़िर क्या था दीपक भाजपाई भड़क उठा उस चैनल वाले को आज ऐसा सबक सिखायेंगे कि आज के बाद किसी की ऐसा करने की हिम्मत न हो । मैने कहा भूल से भी ऐसी भूल न करना ऐसा करोगे तो बेटा पूरा मीडिया समाज तुम्हारी इज्जत तार तार कर देगा और तुम्हारी ही पार्टी का हर नेता तुम्हे पहचानने से इनकार कर देगा । दीपक भाजपाई उलझन मे पड़ गया तो अब हम करें क्या मैने कहा करना क्या है किसी चैनल वाले को पकड़ो उसको दारू मुर्गे की भेंट चढ़ाओ और पूर्व नियोजित रूप से अग्निवेश का पुतला जलाओ सरकारी बस मे तोड़ फ़ोड़ करो और ज्यादा ही शौक चर्राया तो आखिरी मे जेल भरो । दीपक भाई ये हिंदुस्तान है यहां जियो और जीने दो और तुम लोग जाओ मुझे चैन से आम का जहरीला रस पीने दो ।

Thursday, May 19, 2011

जागो हिंदू सेना की धमकी

साहब नुक्कड़ पर, अकेले ही यूरिया वाली चाय पी रहा था कि भगवा झंडा लहराते कुछ लोग पहुंच गये। चाय वाले से पूछा- "वो कमीना व्यंग्यकार दवे कहां मिलेगा, जो अपने लेखो मे भगवान शिव को पात्र बनाता है ।  भाई सोहन शर्मा ने बात संभालने की कोशिश की- "भाई, लेखो में तो शिव जी का कही अपमान नही करता।  खाली उनके माध्यम से व्यवस्था पर प्रहार करता है।" भगवा नेता भड़का- "वो मैं कुछ नही सुनूंगा। भगवान का नाम ही क्यों लिखता है। तुम तो ये बताओ,  है कहां वो।"  शर्मा जी ने बात टाली- "वो बाहर गया है, अगले हफ़्ते आयेगा।"  नेता जी ने धमकी दी- "बता देना उस धर्म द्रोही को। हमें जहां मिलेगा वहीं मारेंगे। और तो और मर कर नर्क जायेगा, तो शिव जी उस को छोड़ेंगे नही।"

भगवा पार्टी के जाते ही, थर थर कांपता मैं घर पहुंचा। श्रीमती को सारी बात बताई। श्रीमती ने गंभीरता से विचार किया, बोलीं- "भगवा पार्टी से तो कोई डर नही। पर भगवान वाला मामला गंभीर है।" मैं सकपकाया- "वाह, भगवान तो मरने के बाद सजा देंगे। पर ये तो अभी पीटने खोज रहे हैं।" श्रीमती जी ने तर्क दिया-  "आप अपनी जिम्मेदारियो तक से तो भाग जाते हो। तो ये क्या खाक तुम्हे पकड़ पायेंगे।" मैने कलप कर कहा- "इस आड़े वक्त में भी आप हमें जली कटी सुनाने से बाज नही आ रही।" श्रीमती ने विषय बदला- "वो छोड़िये, तत्काल शिव जी के पैर पकड़ अपना परलोक तो सुधारिये। तब तक मै भैया से कह कर भगवा पार्टी मामला निपटाती हूं।

छुपते छुपाते मै शिव मंदिर पहुंचा। पहुंचते ही प्रभु के पैर पकड़ लिये। गिड़गिड़ाने लगा- "प्रभु मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दीजिये। आधे घंटे तक रोने गाने पर भी जब प्रभु प्रकट न हुये। तो मैने पैतरा बदला- " हे महादेव, मैने तो केवल कुछ लेखो में आपके माध्यम से जनता को संदेश दिया है। इस पर आप मुझसे इतने खफ़ा हैं और जागो हिंदू वाले मुझे मारने खोज रहे हैं। जिन दिनकर जी ने संस्कृति के चार अध्याय नामक पुस्तक में। आपके बारे में विभिन्न श्लोको के द्वारा तमाम उदाहरण दिये हैं। उनको राष्ट्र कवि माना जाता है। कालिदास जी  के ग्रंथ कुमार संभव में तो आपके वैवाहिक  संबंधो का जीवंत चित्रण है। उनका तो ये जागो हिंदू वाले  कालिदास समारोह मनाते हैं, महाकवि बुलाते हैं।" लेकिन प्रभु फ़िर भी प्रकट नही हुये। मैने रणनीती बदली और  दोहे का सहारा लिया।

दिनकर अच्छा, कालीदास है प्यारा
फ़िर कहो प्रभु अपराध हमारा

इस दोहे को सुन भी प्रभु प्रकट न हुये।  मैने फ़िर उनको याद दिलाई- हे देवाधिदेव महादेव, गीता तक में शरण मे आने पर सारी गलतिया माफ़ कर देने की बात कही गयी है ।
सर्व धर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रजः
अहं त्वा सर्व पापेभ्यो मोक्षिष्यामी मा शुचः

लेकिन साहब इस पर भी काम न बना। तो मैने प्रभु को उनके अराध्य प्रभु श्री राम का हवाला दिया

प्रनतपाल रघुनायक करूना सिंधु खरारी ।

गएं शरण प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारी ॥


इतनी सारी दलीले,  रेफ़रेंस से  प्रभु को प्रकट होना पड़ा। बोले- " अरे भाई मैं कोई नाराज नही हूं। क्या तेरे जैसे तुच्छ आदमी के लिखने से मेरा अपमान हो जायेगा। याद रख देवता मान अपमान से परे होते हैं। मनुष्य  खाली उनसे प्रेरणा लेकर उनकी निष्काम भक्ति कर। उनकी दी हुई शिक्षा को ग्रहण कर, जीवन म्रुत्यू के चक्र से बाहर निकल सकता है।  धर्म धारण करने की वस्तु है। अर्थात धर्म को ग्रहण कर तदानुसार आचरण करना ही सत्य है । धर्म की व्याख्या हर एक व्यक्ति अपनी आस्था और समझ के  अनुसार करता है ।"

फ़िर प्रभु ने सोचा- ’ये मै समझा किस गधे को रहा हूं। यदि  आदमी समझदार ही होता तो समझाने की नौबत ही क्यों आती।’ प्रभु ने पूछा- "ये तुझे किसने कहा कि मै तुझसे नाराज हूं।" अब मैने भगवा नेता को नर्क भेजने का प्लान बनाया- " प्रभु जागो हिंदु सेना का नेता  है। ये सेना बड़ा आतंक फ़ैलाती हैं।  वेलेन्टाईन डे पर पार्को मे जाकर प्रेमी प्रेमिकाओ को मारते हैं।" तभी मेरे अंदर का हिंदू बीच में बोल उठा "वैसे कुछ अच्छे काम भी करते हैं ये लोग। धर्मांतरण कराने वाले पादरियो को पीटते हैं देवी देवताओ के चित्रो का दुरूपयोग भी रोकते हैं प्रभु ।"


प्रभु ने कहा- "क्या किसी को रोकने से धर्म की रक्षा होती है।  धर्म की रक्षा धर्म की उन्नती से होती है। धर्म की उन्नती अच्छे आचरण से होती है, दानशीलता से होती है। धर्म शिक्षा के प्रचार प्रसार से होती है । क्या अमेरिका में किसी के कुरान जला देने से कुरान का महत्व कम हो गया। क्या उसमे दी हुई शिक्षा भी जल गयी?  नही न। क्या मेरा चित्र कपड़ो में लगाने से मेरा अपमान हो जायेगा?  नही हां। मेरे भक्तो की भावना आहत हो सकती है। पर इस पर शोर गुल मचाने से बाते और फ़ैलेगी आप चिढ़ते हो मालूम पड़ने से तो और भी लोग ऐसा करेंगे।" मैने कहा- "आपकी बात मै समझ गया प्रभु। पर वो भगवा नेता  तो नही समझा न। मुझे जहां देखेगा वही पीटेगा। प्रभु ने कहा- "बेटा उसको याद दिला देना कि तू तो पिट जायेगा,  पर तेरे पत्रकार भाई फ़िर उसको आसाराम बापू बना देंगे।"

प्रभु ने फ़िर कहा- "चलो मै आ ही गया हूं तो कोई वर मांगना हो तो मांग ले। मैं चीत्कार उठा-  "मुझे मेरी पत्नी की गुलामी से मुक्ती दिला दें प्रभु। झाड़ू पोछा  कर मैं थक गया हूं।" प्रभु मुस्कुराये और बोले- "बेटा तेरी पत्नी ने 101 सोमवार का व्रत कर, तेरे जैसा उत्तम पति पाया है। और तेरे पूर्व जन्मो के पाप तो तुझे भोगने ही हैं।  ये वर तुझे दे सकता हूं कि इन कामो बोझ को तू सह सके। और अपनी श्रीमती की तमाम जली कटी तू हंसते हंसते सुन ले।"  फ़िर तथास्तु कहते ही प्रभु अंतंरध्यान हो गये। और मै-  "रुकिये प्रभु रूकिये" पुकारते पुकारते बेहोश हो गया। आखें खुली तो मै बिस्तर के नीचे पड़ा था और श्रीमती  बड़बड़ा रही थी- "दिन में तो चैन से जीने नही देते। सपने में भी बड़बड़ा रहे हैं। कितनी बार कहा है ब्लाग लिखना बंद करो।  पर ये है कि मानते नही

Tuesday, May 17, 2011

नुक्कड़ चर्चा - पेट्रोल की मूल्य बढ़ोतरी और भाई सोहन शर्मा का इस्तीफ़ा

नुक्कड़ पर यूरिया वाली चाय का दौर चल रहा था तभी भाई सोहन शर्मा कन्नी काट गुजरते नजर आये उन्हे घेर कर रोका गया और जनता ने चढ़ाई कर दी आपकी दादा गिरी नही चलेगी मूल्य बढ़ोतरी वापस लीजिये । शर्मा जी तत्काल प्रतिवाद किया इसमे मै कहां से बीच मे आ गया । जनता ने कहा ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष हो की नही रेट कम करो वरना पीटेंगे  शर्मा जी गिड़गिड़ाये भाई ये सब निर्णय तो दिल्ली वाले नेता लेते हैं मै गरीब तो प्रदेश सम्मेलन मे भी पीछे बैठा रहता हूं । आसिफ़ भाई गुर्राये जब कोई निर्णय तेरे हाथ मे नही तो साले वोट मांगने क्यो आता है । मामला गर्माता देख मैने बीच बचाव किया यार आसिफ़ ये तो जिस पार्टी की नीतियो को पसंद करता है उसका प्रचार करता है यही तो लोकतंत्र है ।


मेरे हस्तक्षेप से मामला और गर्मा गया दीपक बोला अब शर्मा जी तुम बताना पड़ेगा कि कांग्रेस की कौन सी नीति पसंद करते हो जो वोट मांगने आये थे । शर्मा जी धीरे से बोले मेरी पार्टी धर्मनिरपेक्ष है गरीबो के हित मे काम करती है । आसिफ़ भाई फ़िर भड़क गये बोले ओसामा जी वाली धर्मनिरपेक्षता और मंहगाई बढ़ाने वाला गरीबो का खयाल अरे शर्मा जी तुमको तो बेशर्म जी कहना चाहिये थॊड़ी भी गैरत है तो इस्तीफ़ा दो तुरंत वरना जनता मार मार के भुर्ता बना देगी


शर्मा जी ने प्रतिवाद किया अरे भाई पेट्रोल का मूल्य सरकार के हाथ मे थोड़े ही है वो तो पेट्रोल कंपनियो के हाथ मे है । लोग फ़िर भड़क गये यदि ऐसा है तो चुनाव के पहले मूल्य क्यो नही बढ़ा नतीजे आने के बाद क्यो बढ़ गया बात साफ़ है शर्मा जी पेट्रोल कंपनिया भले नियंत्रण मे न हो लेकिन उनको चलाने वाले कांग्रेस के नियंत्रण मे ही हैं । शर्मा जी या तो आप महा मूर्ख हो जो ऐसी पार्टी मे हो और आपको पीटने से हमे कोई पाप न लगेगा और नही तो आपको इस्तीफ़ा देना ही पड़ेगा । शर्मा जी धर्म संकट मे पड़ गये एक तरफ़ पिटाई थी और दूसरी ओर कांग्रेस आई  । एक से शरीर मे तोड़ फ़ोड़ हो जाती और दूसरे से तो शरीर ही चलता था । शर्मा जी ने कातर निगाहो से मेरी ओर देखा और निगाहो ही निगाहो मे शाम की दावत का निमंत्रण भी दे दिया


मैने तुरंत घोषणा कर दी महा मूर्ख शर्मा जी नही आप लोग हो और इस्तीफ़े की इच्छा है तो भारत की नागरिकता से इस्तीफ़ा दे दो । आसिफ़ भाई बेहद गुस्से मे थे बोले दवे जी इस मामले मे लफ़्फ़ाजी नही चलेगी वरना आपके पिटने की नौबत भी आ सकती है । मैने कहा लफ़्फ़ाजी की बात ही नही है आप लोग तो खुश हो तभी तो सरकार ने रॆट बढ़ाया है सरकार चाहती तो मतदान के बाद भी बढ़ा सकती थी पर नही उसने देखा कि जनता उसकी महंगाई बढ़ाउ नीतियो को पसंद करती है कि नही है  मतगणना से साफ़ हो गया तीन राज्यों मे कांग्रेस की जीत हुयी । मतलब साफ़ था कांग्रेस की नीतिया सही हैं तो तत्काल जन भावना को स्वीकार कर कांग्रेस ने  रेट बढ़ा दिया।

दीपक बोला यार वो तो स्थानीय मुद्दो पर चुनाव हुये थे महंगाई तो राष्ट्रीय मुद्दा है । मैने कहा इस देश मे महंगाई कोई मुद्दा है ही नही तुम लोग वोट देते हो जात पात के नाम पर धर्म के नाम पर कोई गांधी नाम का चमचा है तो किसी को भगवा झंडा प्यारा है कोई यादव नरेश है तो कोई दलित रानी माया भक्त । भारत मे आदमी अपने हित को ध्यान रख वोट देता है देश हित मे नही । पांच रूपया रेट बढ़ गया तो शर्मा जी को मारने धर लिया जब २ लाख करोड़ का घोटाला हुआ तब क्यो नही मारने पकड़ा क्योंकि वो पैसा देश का जा रहा था और पेट्रोल का पैसा जेब से जा रहा है । जिस दिन नेता लोग देश बेच खायेंगे तब भी यदि हिंदु को बेच रहे होंगे तो दीपक खुश हो जायेगा मुसलमान खरीददार होगा तो आसिफ़ खुश हो जायेगा

तभी बीच मे गुप्ता जी बोल उठे हम ऐसे नही है । मैने कहा अकेले मे तुम ऐसे नही हो सब मिल जाओगे तो वैसे ही बन जाओगे । और ऐसे नही हो तो इस्तीफ़ा दो भारत की नागरिकता से और भाग जाओ और नही भाग सकते तो फ़ोकट मे मत चिल्लाओ । इतना सुन नुक्कड़ मे सन्नाटा छा गया और मै शर्मा जी को भीड़ से हटा कर दूर ले गया । शाम का प्रोग्राम तय करते समय मैने कहा यार शर्मा जी तुम कब ठीक ठाक नेता बन पाओगे मियां जब जब रेट बढ़े एक हफ़्ते के लिये गायब हो जाओ भारत की जनता है कितने दिन बात याद रखेगी

Sunday, May 15, 2011

रामू काका और राहुल बाबा का गीता संवाद - भाग तीन


रामू काका(दिग्गी राजा ) की बात सुनकर बाबा ने फ़िर  शत्रु सेना की ओर देखा । वे रामू काका से बोले वो  दिव्य पताकाओ से सजे  भगवा  रथ मे सवार अतिरथी कौन है जिसके विकास धनुष की टंकार से हमारी सेना थर थर कांप रही है  । आकाश मे मंडराती ये कौन सी मायावी शक्ति है जिसके अस्त्र की चमक से दोनो पक्षो के योद्धाओं के रोंगटे खड़े हो जाते हैं ।  वो क्षण भर मे विलुप्त हो जाने वाली लाल पताकाओ से युक्त अजेय सेना किसकी है । हे रामू काका इन अपराजेय योद्धाओं का सामना हम किस तरह करेंगे ।

रामू काका गंभीर स्वर मे बोले भगवा रथ मे सवार अतिरथी महान योद्धा नरेन्द्र कर्ण है । गरीब कुल मे पैदा होकर भी यह कम समय मे महान राजकुल से टकराने की अभिलाषा रखने वाला ये योद्धा शापित है । इससे आप निश्चिंत रहें जिस क्षण ये आपसे युद्ध करने आयेगा इसके शाप के कारण इस ही की सेना मे शामिल योद्धा इसे त्याग देंगे मन ही मन इसकी अराधना करने वाले भी कभी इसे सार्वजनिक रूप से सराह न पायेंगे और यदि उनसे ऐसी भूल हो भी गयी तो वे स्वंय शापित हो जायेंगे

आकाश मे फ़िरने वाली मायावी शक्ती मीडियासुर है उसके कैमरा अस्त्र की चमक और कलम अस्त्र की दमक से सारा नेता कुल भयातुर रहता है और प्रतिदिन इसकी स्तुती करना नही भूलता इसका अपमान करने वाले को यह क्षण भर मे ही भस्म कर सकता है । यह मीडियासुर  तटस्थ रहने को प्रण बद्ध है लेकिन चूंकि इस संसार को सूचनायें पहुचाने का काम  ब्रह्म देव ने इस ही को सौंप रखा है अतः यह निर्भय होकर कभी प्रण का पालन नही करता और संसार के सामने प्रण बद्ध होने का अभिनय करता है । इसके प्रकोप से कोई योद्धा अछूता नही रह सकता पर आप इसकी चिंता भी न करें इसकी एक कमजोरी है यह कुंभकरण से भी बड़ा भूखा है और आपके कुशल सलाहकारों ने इसके रसद मार्ग को अपने कब्जे मे ले रखा है अतः यह आपके अहित को कभी तत्पर न होगा हां कभी छद्म अभिनय कर सकता है पर आपका वह सदैव आदर रखेगा ।


और क्षण भर मे विलुप्त हो जाने वाली लाल पताकाओ से युक्त अजेय सेना माओवादियों की है  । हे नित्य चापलूसो से पूजे जाने वाले महान बाबा आप इसकी तो तनिक भी चिंता न करें यह सेना कितनी भी मायावी हो पर आयुधो की आपूर्ती के लिये ये हम पर ही निर्भर है । पकड़े जाने पर शीर्ष अदालतो मे हम ही इनका ध्यान रखते हैं । हमारे राज्य की सीमाओ के अंदर इसके ट्रेनिंग कैंप लग सकते है पर यह हमला नही कर सकती यह सदा हमारे शत्रुओं पर हमला करने को बाध्य है । और हमारे द्वारा राज्य जीते जाने पर यह हमारे मन चाहे राज्य की ओर रवाना हो जाती है ये हमसे इतना प्रेम करते हैं कि स्वयं अपने पितरों की भी इन्होने इज्जत न की और उनके दशको पुराने राज्य से उनको हमारे लिये खदेड़ दिया


अपना प्रताप देख कर बाबा चकित हो गये बोले रामू काका आप न होते तो मै तो कभी अपनी ताकत जान ही न पाता  अच्छा आप मुझे उस महान योद्धा के शापित होने का राज बतायें जिसका नाम नरेन्द्र कर्ण है । राहुल बाबा वह तो बेचारा जन्म से ही अभागा है आपके राजकुल के महान कीर्तिमानो  को देख उसने राजकुल को परास्त करने की कसम खाई पर जन लोकप्रियता का ब्रम्हास्त्र जो आपको सहज ही प्राप्त है वो उसे मिल ही नही सकता था । बिना उसके वह आपसे युद्ध कर ही नही सकता था उसे युद्ध करने दिया ही नही जाता पाईप लाईन मे एक से बढ़ कर एक महान योद्धा थे फ़िर उसकी बिसात ही क्या होती । आपसे युद्ध करने और परम कीर्ति को प्राप्त करने उसने ब्रह्मास्त्र प्राप्ती के लिये वह पाप कर दिया जिसका साहस किसी और योद्धा ने कभी नही किया था उसने राजधर्म का उल्लंघन कर दिया उस उल्लंघन मे उसके हिसाब से मरे तो बहुत ही कम योद्धा और उसके पास इसका तथाकथित कारण भी था । पर उस  उल्लंघन  के साथ वह शाप भी जुड़ा था जिसे आज वह भोग रहा है । और वह हजार विकास यज्ञ भी कर ले पर शाप मुक्त होना असंभव ही नजर आता है


यह सुनते ही प्रसन्न राहुल बाबा ने आम सैनिको की ओर यूं ही नजर घुमाई अर्ध वस्त्र पहने हुये और कमजोर नजर आने वाले आम सैनिको को देखकर बाबा फ़िर दुखी हो गये बोले ये बेचारे आम सैनिक रहते तो हमारी ही कर्म भूमी मे है  । और मेरे चाचा आप जैसे मामओं और भी अन्य मेरे राजनैतिक गुरूओं एवं पूर्वजो के इसी भूमी मे कर्म रत रहने के कारण इनमे से कोई मेरा चचेरा भाई होगा कोई मेरा ममेरा भाई कोई गुरू भाई होगा तो कोई भतीजा भांजा । मै अपने ही रिश्तेदारो पर झूठे आश्वासन बाण चलाकर सम्मोहित कर विजय प्राप्त करूंगा तो क्या मुझे अपयश और पाप की प्राप्ति न होगी क्या इनके भूखे बच्चो की आह मुझे नही लगेगी ।  हे रामू काका देश का कोयला और लोहा बेच कर और टेलीफोन लाईसेंस बेच कर भरे गये हजारो स्विस बैंक खाते भी मुझे यह अपकर्म करने को प्रेरित नही कर सकते ।  मै यह युद्ध नही कर सकता क्रुपा करके मेरे हित मे हो वह बात मुझे बतायें

क्रमशः
पिछला भाग जानने के लिये -

मम्मी और दिग्गी मांमू भाग दो - रामू काका और राहुल बाबा का गीता संवाद



Friday, May 13, 2011

मम्मी और दिग्गी मांमू भाग दो - रामू काका और राहुल बाबा का गीता संवाद

 मम्मी और दिग्गी मांमू भाग दो - दिग्गी मांमू और राहुल बाबा का गीता संवाद


अब चुनाव युद्ध का समय आ चुका था  राज्य मे महज तिहाई हिस्सा मांगने के बावजूद मुलायम कुरूव्रुद्ध  और और गांधार कुमारी महामाया ने इंकार कर दिया था । दूत भेजने बुलाने का समय जा चुका था रणभेरी बज चुकी थी । प्रचार रथ मे खड़े होकर सारथी रामू काका से बाबा ने कहा मेरा रथ हमारी और विरोधियों की सेनाओ के बीच खड़ा करे । मै हमारी सेनाओं से युद्ध के अभिलाषी सभी वीरो को देखना चाहता हूं । रथ के बीच मे आते ही राहुल बाबा ने विपक्षी दलो के ध्वजो से सजी उनकी सेनाओ और सेनापतियों को देखा महारथियों को भी देखा और आम सैनिको को भी देखा जो दल भक्ती के कारण युद्ध मे आ जुटे थे । मरने मारने को उतारू इन सभी को देख बाबा का मन विषाद से भर गया ।


और बोले रामू काका ईडिया जैसे टेन कन्ट्रीस का राज्य भी मिल जाये तो भी मेरे एनसेस्टर्स के वर्क लैंड मे मै अपनो पर ही वार नही कर सकता  कुरूव्रुद्ध मुलायम और और गांधार कुमारी महामाया दोनो ही पूज्यनीय हैं क्या आपको याद नही डील परमाणू से लेकर 2 G तक हर मौके पर इनका स्नेह हमें मिलता रहा है  कुरूव्रुद्ध ने तो डील परमाणू मे हमारी रक्षा के लिये अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और  गांधार कुमारी ने हमारे अलावा क्या किसी और को भट्टा परसौल जाने दिया था। और पितामह लाल किशन को तो देखो कब से राज्याभिषेक के लिये पाईपलाईन मे लगे हैं क्या हो जायेगा जो एक बार ये ही बन जायें ।  मै प्रचार नही करूगा ऐसा कह बाबा रथ मे ही नीचे बैठ गये ।




रामू काका तुरंत राम किशन बन गये और ओज पूर्ण स्वर मे बोले - जनता को टॊपी पहनाने वाले उच्च राजकुल मे जन्म लेकर भी यह कुविचार आपके मन मे आया कैसे ।  हे इंदिरेश अपनी गौरव पूर्ण कुलगाथा को याद कीजिये कैसे आपकी महान दादी ने आपातकाल लगाने तक मे हिचक न की थी कैसे उनके पिता ने इसी राजगद्दी के लिये देश का बटवारा भी मंजूर कर लिया था । कैसे आपके परम प्रतापी चाचा ने अपनी प्रचंडता से आर्यावर्त को हिला कर रख दिया था समस्त फ़िल्मी अप्सरायें भी उनके तेज से डर उनके सामने न्रत्य किया करती थीं । आपकी माता को ही लीजिये सात समुद्र पार के राज्य की होने पर भी उन्होने कितनी कुशलता से यहां की राजनीती सीख आपके उत्तराधिकार की रक्षा की है । हे इटिलेश आप अपने कुल को कलंकित न कीजिये पकड़िये माईक और प्रचार युद्ध शुरू कीजिये । अपना अक्षय भाषण तुणीर उठाइये और प्रहार कीजिये ।


बाबा इतना सुन कर भी तत्पर न हुये बोले रामू काका क्या मेरे आरोप अस्त्र से कुरूव्रुद्ध और गांधार कुमारी आहत न होगी मोहन दादा को कमजोर कह चुके लालकिशन दादा को मै उनसे उम्र मे आधा यदि कमजोर कह दूंगा तो क्या वे व्यथित न होंगे । क्या इससे मर्यादा भी भंग न होगी । रामू काका मुस्कुराये बोले हे राजीव नंदन ये सब क्षत्रीय राजनेता हैं इन पर आरोप अस्त्र का कोई असर नही होता और आश्वासन बाण के सम्मोहन मे ये आते नहीं हैं युद्ध हार जाने पर भी इनका और आपका अंदरूनी प्रेम कम न होगा । और युद्ध समाप्ती के बाद इन सब से आपका पुनः प्रेम स्थापित हो जायेगा और यदि किसी का  मन दुख भी जाये तो आप लालकिशन दादा की तरह माफ़ीनामा जारी कर देना ।


क्रमशः
पिछला घटना क्रम जानने के लिये -

दिग्गी मामा नही ये मामू है मम्मी का रामू है- भाग एक

Wednesday, May 11, 2011

इसको मत पढ़ना भाई दो पैग लगाकर लिख दिया

 
 
बेशर्मी , रिश्वत , जातिवाद , भ्रष्टाचार , परेशानी ।

                   ये सब बेतकल्लुफ़ी से काम क्यों नही लेती ॥

            आप , हुजूर, भाईसाहब ,ओसामा जी ,धन्यवाद ।

                          ये सब क्या है तुम मेरा नाम क्यों नही लेती ॥

 
चुराकर तोड़ मरोड़ जनहित मे जारी

 
नोट -: ये मैने आपकी पार्टी के उपर नही लिखा है आपके विरोधियों की चर्चा कर रहा हूं

 
आपका ही अपना
                  देखते हुये सपना
                                      
                                         आम आदमी

Monday, May 9, 2011

हाय बेड़ा गर्क हो परिकल्पना पुरूस्कार पाने वाले ब्लागरो का



दिल्ली से लौटे ललित शर्मा जी से रायपुर स्टेशन पर मुलाकात हो गयी।  उनकी चढ़ी हुई मूछे, स्पष्ट तौर पर पुरूस्कार की खुशी झलका रही थी । मुझे देखते ही प्रसन्नता से बोले- "क्या हाल है दवे जी।" हमारा सीना चाक हो गया, मरी हुयी आवज में हमने कहा- "ठीक ही है शर्मा जी आप सुनाएं।" शर्मा जी पुराने चावल है, दर्द ताड़ गये। हमसे पूछा- "क्या बात है भाई, थोड़ा बुझे बुझे लग रहे हो।  हमने कहा- "छोड़िये गुरूदेव, आप बताइये कैसी कटी दिल्ली में।" शर्मा जी उत्साह से पुरूस्कार का बखान करना शुरू हो गये। इधर हमारे सीने में ज्वाला धधकने लगी। हमने जोर से चिल्ला कर कहा- "बस बस, अब हमसे और न सुना जायेगा।"  शर्मा जी बोले-  "यार जब से मिला है अलग टाईप का दिख रहा है, बात क्या है।"

हमसे रहा न गया, गुस्से से भर कर बोले- "अकेले अकेले इनाम पा लिया। अब हम दुखी भी न हों। ये हक भी छीन लो।" शर्मा जी हड़बड़ाये-  "यार आप तो  सात-आठ महिने से ब्लागिंग कर रहे हो,  इनाम कैसे मिल जाता । हमने पूछा -  "क्या वरिष्ठता के आधार पर पुरूस्कार बटे हैं।" शर्मा जी बोले- "वो बात नही है भाई, पर लोग सालों से लिख रहे हैं। सैकड़ो की संख्या में लेख लिख चुके हैं। आपने तो 50 भी नही लिखे होंगे। हमने फ़िर पूछा- "क्या पोस्ट की संख्या के आधार पर इनाम बटे हैं।" शर्मा जी बोले- "भाई बात समझ ही नही रहे हो, लोगो के लेखो में सैकड़ो की संख्या में कमेंट आते है  आपके ब्लाग में कितने आते होंगे। हमने कहा- "गुरू टोपी मत घुमाओ, तू मेरी खुजा मै तेरी खुजाउं वाले कमेंट को कमेंट नही कहते। "अच्छा लेख, मेरे ब्लाग पर भी आना, हवे ए गुड डॆ " क्या ऐसे कमेंट पुरूस्कार का आधार थे


शर्मा जी अब नाराज हो चुके थे बोले,- दो मिनट बिना बोले मेरी बात सुनोगे, तो बोलता हूं वरना मै चला।" हमने सहमती में सर हिलाया, शर्मा जी बोले- "मेरे भाई संस्था ने प्रतियोगिता रखी थी। उसमें  लोगो ने अपना  लेख भेजा।  उसमें से संस्था ने 51 लोगो को चुन कर उन्हे पुरूस्कार दिये । यदि आपने भेजा होता और उनको लेख पसंद आता, तो आपको भी मिलता। आपने भेजा ही नही, तो पुरूस्कार कैसा। हमने कहा- "मेरे जैसे लेट आने वालों या जो लेख भेज नही पाये थे। उनसे लेट फ़ीस ले लेते और उनको भी मौका देते। अरे बता ही देते कि इतना बड़ा पुरूस्कार समारोह होने वाला है। लोग सतर्क न हो जाते । मेल भेज दिया आमंत्रण का,  अरे भाई हम भी सम्मानित सदस्य हैं। टिकट भेजा होता या फोन ही कर दिया होता। हमारा अपमान तो हुआ है बस मै इससे आगे कुछ नही जानता। और तो और ऐसा समारोह किया कि ब्लागीवुड धर्म के आधार पर बट गया। जिनको आपने सम्मान, गौर कीजियेगा पुरूस्कार नही सम्मान नही दिया। उनको अपना अलग समारोह करना पड़ गया। दो जगह खर्चा हुआ वो अलग, अरे भाई उनके पुरूस्कार भी इसी मंच से बाट देते 51 के बदले 71 सही। भीड़ भी ज्यादा होती, सब खुश रहते और खर्चा शेयर हो जाता वो अलग। ललित शर्मा जी लाजवाब थे। बोले-  "मेरे चाचा मैं क्या करूं कि आपका गुस्सा शांत हो जाये।"  मैने कहा-  "पुरूस्कार के दिन मैने दुखी होकर, चुरा कर एक तुकबंदी बनाई है। पूरा सुनना पड़ेगा मजबूरी में। " शर्मा जी के  इरशाद कहते ही हम शुरू हो गये--


 कितने ऐश उड़ाते होंगे

             कितना इतराते होंगे

जाने कैसे लोग वो होंगे

         वो  जो इनाम पाते होंगे
         

इनाम की याद के बादेसमां मे

         और तो क्या होता होगा

हम लोग जो पहले से थे बिफ़रे

         और बिफ़र जाते होंगे


वो जो इनाम न पाने वाला है न

           हमको उनसे मतलब था

इनाम पाने वालो से क्या मतलब

            मिलता होगा पाते होंगे    


शर्मा जी कुछ तो हाल सुनाओ


         उन कयामत लिफ़ाफ़ो का

 वो जो पाते होंगे उनको                    
                  
     मिया वो तो  खुशी से पगला जाते होंगे


बस साहब मैं इतना ही सुना पाया था कि शर्मा जी ने हाथ जोड़े। बोले- "मेरे भाई, ये लिफ़ाफ़ा धर और बोल तो मेरा पुरूस्कार भी रख ले। आज के बाद मै कसम खाता हूं जहां आपको पुरूस्कार न मिलेगा मै भी नही लूंगा

तो जनाब, हाथ में लिफ़ाफ़ा लिये और शर्मा जी का वादा लिये। हम रंजो गम भुलाकर, चैन से घर की ओर रवाना हो गये। आखिर अगले पुरूस्कार की तैय्यारी जो करनी थी।

Sunday, May 8, 2011

शिव पार्वती और कनिमोई की याचिका

कनिमोई की तपस्या से कैलाश हिलने लगा काफ़ी देर तक जब प्रभु ने आखें न खोली तो माता ने सोचा कौन है जरा देखा जाय । फ़रियादी को देख माता का दिल पसीज गया प्रभु से बोलीं सुनिये कितनी सुंदर और भोली लड़की है जरा इसकी प्रार्थना सुन लीजिये । प्रभु  बोले आदमी सुंदरता और भोलेपन मे ही तो फ़ंसता है वरना आज पतियों की ये दुर्दशा न होती  माता नाराज हो उठीं आपके कहने का मतलब क्या है । प्रभु आंख खोल मुस्कुराये अरे मै आपसे नहीं कह रहा था कल पत्नी पीड़ित संघ से संयुक्त रूप से बीस करोड़ प्रार्थनाएं आयीं थी उनका निपटारा करते करते मुंह से ये बात निकल गयी ।

माता की नाराजगी कम न हुयी थी  बोलीं इस बच्ची का प्रकरण पहले निपटाइये प्रभु ने मामले पर नजर डाली ।  बच्ची तो ये कहीं से नही है हां इसने आवेदन मे करूणानिधी की बच्ची हूं ऐसा अवश्य लिखा हुआ है । माता गुस्से में थी बोलीं महिला जेल जायेगी आपको अच्छा लगेगा प्रभु बोले महिलायें जेल भेज सकतीं हैं जा नही सकती ऐसा कहां लिखा हुआ है । माता ने भी डूसरा बाल फ़ेकी थी बोलीं आपकी क्रुपाद्रुष्टी के तहत लिखे गये संविधान मे । प्रभु ने हार्ड लाइन अख्तियार की वो सब बात पुरानी है आज कल मामला बराबरी का है समान अधिकार समान दंड । और पूरे मामले की मम्मी ये  लड़की ही है वो तो राडिया से इसकी बातचीत का टेप इस प्रकरण मे अभी नत्थी नही हुआ है वरना पूरी पोल अभी ही खुल जाती ।

माता ने पैतरा बदला ये तो जूनियर पार्टनर है कलईनार टीवी की इसका कैसा दोष । प्रभ बोले इसकी मां बूढ़ी है तो वो दोष मुक्त ये जूनियर पार्टनर है तो  दोष मुक्त माने नौकर लोग बिना मालिक से पूछे मालिक के हित के लिये धोखाधड़ी कर रहे थे वाह माते आजकल आप सोनिया मम्मी टाईप दयालु होती जा रंही हैं ।  माता बोलीं केस के फ़ैसले के समय आपसे न कहूंगी पर इसको अभी जमानत आपको दिलवानी ही होगी । प्रभु ने असहायता से जवाब दिया ये मेरे बस की बात नहीं हैं ।

माता ने पूछा बस की बात नही है या मैने सिफ़ारिश कर दी इसलिये आप इसे वरदान देना नही चाहते अगर ये मेरी प्रार्थना कर रही होती तो आपसे कहने की मुझे जरूरत ही क्या थी क्षण भर मे जज का निर्णय बदलवा देती । पर इस बेचारी को क्या मालूम कि वो एक पत्थर दिल भगवान को पूज रही है । प्रिये बात ऐसी नही है पर इसका निर्णय जज के हाथ मे नही है माता ने कहा जज के हाथ मे नही नही है तो जज जिससे भी पूछ कर निर्णय देता है उसका मन बदल दीजिये । प्रभु ने कहा ये एक आदमी के हाथ मे है ही नही है । माता ने कहा एक हो या दस आपके लिये क्या बड़ी बात है ।

प्रभु ने कहा ये दस बीस नही करोड़ो लोगो के हाथ मे था और वे निर्णय ले चुके हैं अब मतगणना बस की देर है तमिलनाडू का नतीजा आते ही फ़ैसला हो जायेगा कि कनिमोई अंदर रहेगी या बाहर । माता ने कहा चुनाव नतीजों से इस केस का क्या मतलब प्रभु ने मुस्कुराते हुये जवाब दिया प्रिये अगर द्रमुक तमिलनाडू का चुनाव जीतती है तो फ़िर उसे केंद्र सरकार को समर्थन देने की मजबूरी नही रहेगी ऐसे मे कांग्रेस को झक मार के इसे जमानत दिलवानी पड़ेगी हां अगर द्रमुक चुनाव हार जाती है तो फ़िर समर्थन देते रहना उसकी मजबूरी हो जायेगी और कांग्रेस इसको अंदर करवा के अपनी इमानदारी का ढोल पीटेगी

माता समझने को तैयार फ़िर भी न हुई बोली एक तो देश मे इतनी कम महिलायें राजनीति मे हैं उपर से ये राज्यसभा की सदस्य भी है । इसके अंदर जाने से क्या महिलाओ की छवि धूमिल न होगी जरूर पत्नी पीड़ित संघ की अपीलो का आप पर असर हो गया है तभी आपको इतनी मासूम महिला की गुहार सुनाई न पड़ रही है ।  वरना संसार मे ऐसा कोई काम न है जो आपके बस मे न हो । प्रभु को क्रोध तो बहुत आया पर वे जानते थे कि कलियुग मे पत्नियो से पार पाना किसी पति के बस मे नही चाहे वो स्वयं महादेव क्यों न हो । भगवान भोलेनाथ ने अब आखिरी अस्त्र का सहारा लिया प्रिये अगर आप एक भी उदाहरण बता सको कि इस महिला ने आम जनता के हित मे कोई काम किया हो  या किसी दुखियारी महिला की मदद की हो तो मै पूरा मामला ही खारिज करवा दूंगा ।

कनिमोई के भविष्य का फ़ैसला होने मे अभी चंद दिन है । माता को अब तक कोई सफ़लता हाथ न लगी है आपमे से किसी को कनिमोई का कोई भी अच्छा काम नजर आये तो प्रिंट आउट निकाल कर माता पार्वती के मंदिर मे अवश्य पहुंचा आये ।

Saturday, May 7, 2011

नुक्क्ड़ चर्चा - भाई सोहन शर्मा और लादेन के बाद का पाकिस्तान

ईंडिया टीवी देख नुक्कड़ पहुंचते ही शर्मा जी ने घोषणा कर दी लादेन के पाकिस्तान मे मिलने के बाद अमेरिका पाकिस्तान को धेला भी न देगा । भारत को पाकिस्तान पर हमला कर  दाऊद इब्राहिम हाफ़िज सईद को लादेन टाइप ही मार देना चाहिये । शर्मा जी ने इतने पर ही बस न की आगे बोले पाकिस्तान को दर दर का भिखारी बना देना चाहिये । सभी टीवी चैनलो की तरह शर्मा जी को भारी जनसमर्थन मिला । तभी उनकी खुशी भंग करते हुये मैने कहा क्या शर्मा जी दिग्गी मामू टाईप कुछ भी कमेंट करते हो

जनसमर्थन से लबलबाये शर्मा जी ने चढ़ाई कर दी दवे जी इस मामले मे लफ़्फ़ाजी न चलेगी । मैने उदाहरण दिया शर्मा जी आपके के पड़ोस मे कोई अकेला कुवांरा रहेगा तो आपको कैसा लगेगा । शर्मा जी भड़क गये मैने भूल सुधार करते हुये कहा चलो ये मान लो आपके पड़ोस मे कोई कंगाल रहेगा तो क्या होगा । शर्मा जी बोले मेरी संपत्ती को खतरा रहेगा और क्या मैने कहा और आप शांती से न रह पाओगे हर दम मन मे खटका रहेगा । शर्मा जी बोले बात तो आप ठीक बोल रहे हो मैने कहा ठीक यही बात पाकिस्तान पर भी लागू होती है । कुवांरे या कंगाल को आप कालोनी से भगा सकते हो पाकिस्तान को नक्शे से नही भगा सकते । शर्मा जी संतुष्ट न हुये हमला कर के अपने मुजरिमो को तो मार सकते हैं ।


मैने कहा शर्मा जी लादेन के मरने के पहले और बाद मे भी पाकिस्तान मे आपात स्थिती है देश कर्जे मे डूबा हुआ है चारो ओर अराजकता है आतंकवादी हमले हो रहें हैं शासन किसके हांथ मे है मालूम नही । नंगो से खुदा डरता है तो क्या हिंदुस्तान को नही डरना चाहिये  अमेरिका भी इसी डर से पाकिस्तान को मदद दे रहा है कि कहीं जिहादियो के कब्जे मे न आ जाये । पाकिस्तान के पास खोने के लिये सिवाय इज्जत के कुछ भी नही भारत का एक हमला उसको अफ़गानिस्तान मे बदल देगा और जिहादी ताकतें हमारा जीना मुश्किल कर देंगी । शर्मा जी मजबूत और खुशहाल पाकिस्तान मे ही भारत की भलाई है ।

शर्मा जी बोले और ये टीवी चैनल और नेता लोग ऐसी बात कर रहें हैं वो क्यों । मैने कहा टीवी वाले तो टीआरपी प्रेमी है और दर्शक आपके जैसे हैं कुछ भी भड़काने वाली खबर दिखी नही कि चिपक गये टीवी से भाई अपना दिमाग भी लगाना चाहिये की नही और रही बात नेताओं की उनको तो समस्याओ से जनता का ध्यान बाटना ज्यादा जरूरी है । उनके इस बयान से पाकिस्तान की जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा उससे उनको क्या मतलब ।  आतंकवादी हमलो मे तो आम आदमी मारा जाता है नेता  थॊड़े ही

शर्मा जी अपने टाईप के दर्शको की बात पर भड़कते उससे पहले मैने नयी बात छेड़ दी क्या शर्मा जी अपनी नयी पड़ोसन से कल बहुत हंस हंस कर बतिया रहे थे  मामला क्या है । इतना सुनते ही पूरा नुक्कड़ शर्मा जी के पीछे पड़ गया और शर्मा जी हाय मै शर्म से लाल हुयी के अंदाज मे सफ़ाई देने मे व्यस्त हो गये और मै गर्मागरम यूरिया वाली चाय पीने मे  ।

Tuesday, May 3, 2011

सोहन शर्मा , दिग्गी मामा और सोनिया मम्मी , लादेन

नुक्कड़ पर यूरिया वाली चाय बनी ही न थी कि भाई सोहन शर्मा तनतनाते हुये आये बोले ये  दिग्गी समझता क्या है अपने आपको । लोगो ने आगे बढ़ कर शर्मा जी को शांत किया पानी पिलाया गया मैने शर्मा जी से पूछ लिया यार दिग्गी मामा आपकी कौन सी भैंस खोल ले गया है जो इतना क्रोध । शर्मा जी फ़िर भड़क गये क्या लादेन का अंतिम संस्कार जो वो बतायेगा उस हिसाब से किया जायेगा । बाटला हाउस से लेकर ओसामा तक जब मुह खोलेगा गटर के ढक्कन की तरह बास आना तो पक्का है ।


मैने एक कागज निकाला और लिखने के लिये शर्मा जी से अनुरोध किया की वो टेका के लिये अपनी पीठ प्रदान करें । शर्मा जी भड़के हुये थे बोले दवे जी अपना काम करो मुझे तंग न करो । मैने कहा भाई काम आपका ही कर रहा हूं । कांग्रेस पार्टी के ब्लाक अध्यक्ष पद से आपका इस्तीफ़ा लिख रहा हूं । शर्मा जी और भड़क गये यार दवे हर समय मजाक अच्छा नही लगता मैने कहा मजाक कौन कर रहा है आपकी पार्टी के महासचिव से आप नाराज हैं तो इस्तीफ़ा दीजिये । शर्मा जी का क्रोध फ़िर उबल आया सोनिया जी ने कहा है ऐसा जो मै इस्तीफ़ा दूं । और दवे जी ये दिग्गी मामा क्यो बोलते हो आपका मामा कैसे है वो ।  मजाक बंद करो इस टाईप की बात मै सुनना पसंद नही करता ।

मैने कहा भाई सोनिया जी मेरी मां समान है और इस नाते दिग्गी मेरे मामा हुये की नही । इतना सुनते ही शर्माजी उखड़ गये दवे जी फ़ालतू बात मत करो सोनिया जी का और इस दिग्गी का कोई सबंध नही है । मैने कहा शर्मा जी होश मे आओ और तनिक दिमाग लगाओ अगर सबंध नही है तो मम्मी का इस बारे मे बयान क्यो नही आता क्यों एन डी तिवारी की तरह मुह छुपाये घूम रही हैं । शर्मा जी ने जलती हुई लकड़ी हाथ मे ले ली कौन कहता है कि मम्मी मुह छिपाते घूम रहीं है ।  लोगो ने फ़िर शर्मा जी को पकड़ा मैने भी उनको शांत करते हुये कहा भाई  एन डी तिवारी भी छुपा हुआ थोड़े ही है खाली डी एन ए टेस्ट को नही आता ।  वैसे ही मम्मी खाली दिग्गी मामा के खंडन को नही आती बाकी मम्मी तो पब्लिक फ़िगर है सामने न रहते हुये भी सामने रहतीं हैं । पार्टी की हर सफ़लता का श्रेय उन्ही को जाता है और हर असफ़लता पर जांच कमेटी वे ही नियुक्त करतीं हैं । और वैसे भी दिग्गी मामा भारत मे मुसलमानों का स्वयंभू प्रवक्ता बन चुका  है ।

शर्मा जी अब तक भड़क कर शांत हो चुके थे बोले यार दवे तू दिग्गी को मामा क्यों बोलता है । मैने कहा शर्मा जी साफ़ बोलूंगा तो आप आज का बिल नही भरोगे नंबर आपका है । आश्वासन मिलने के बाद मैने कहा भाई इतिहास मे ऐसा कौन सा मामा था जिसने भांजे का सर्वनाश करवाया शर्मा जी बोल उठे शकुनी मामा । मैने कहा शर्मा जी ये आपकी गांधारी मम्मी जिसको कुछ दिखता नही का तथाकथित भाई है और भांजे का सर्वनाश भी यही करेगा सावधान । इतना सुनते ही शर्मा जी ने तुरंत दिल्ली की टिकट का आर्डर दिया बोले मै अभी जाकर सावधान करता हूं । मैने कहा सावधानी इतने स्तर की है वहां कि आप पहुंच ही न पाओगे भाई जहां आम आदमी नही पहुंच पाता है वहां आम पदाधिकारियों की कौन कहे । शर्मा जी हार मानाने वालों मे से न थे बोले कोशिश करने वलों की हार नही होती मै जाउंगा और पर्दा फ़ाश करूंगा ।



हम सब ने मिल कर शर्मा जी को बैठाया और कहा शर्मा जी इस ओसामा की हरकते बंद हो गयी पर मामा की कब बंद होंगी और आप तो मामा के खिलाफ़ हो । शर्मा जी वापस अपने तेवर मे आये बिल चुकाकर बोले बास मामा भी होता तो मै निपटा देता पर मामू लोगों से भिड़ना मेरी शान के खिलाफ़ है

Monday, May 2, 2011

नुक्कड़ चर्चा -सोहन शर्मा ओसामा बिन लादेन और दिग्गी मामा






नुक्कड़ पर यूरिया वाली चाय का दौर चल रहा था कि भाई सोहन शर्मा ब्रेकिंग न्यूस के साथ पहुंचे ओसामा बिन लादेन मारा गया । शुरूवाती खलबली के बाद मेरा ध्यान शर्मा जी पर गया इतने प्रफ़ुल्लित नजर नही आ रहे थे । बात छेड़ने पर बोले यार कुछ भी कहो मर्द आदमी था मरा भी तो आखिरी दम तक लड़ा । आसिफ़ भाई बोल उठे मर्द आदमी तो था ही भाई 6 बीबीयां 26 बच्चे अपने शर्मा जी टाईप थोड़े ये एक ही बीबी मे पस्त हो गये

शर्माजी ने छाती चौड़ी की मियां वो तो कानून की बंदिश है वरना अपन भी पीछे नही हैं ख्वाहिश तो आज भी कम से कम 4 बीबीयों की है । बाजू बैठे गुप्ता जी फोन पर बतिया रहे थे सुना आपने भाभी जी मै न कहता था आपसे शर्मा जी अच्छे आदमी नही और आप हैं कि उनको बड़ा सज्जन आदमी मानती थीं । शर्मा जी ने तुरंत फ़ोन छीना सभा मे ठहाके गूंज उठे फ़ोन बंद देख शर्मा जी खिसियाते हुये बोले अरे मैने तो मजाक मे फ़ोन लिया था मुझे मालूम था गुप्ता जी मेरे साथ ऐसा नही कर सकते ।

मैने कहा मजाक छोड़ो शर्मा जी की बात मे दम तो है लादेन वो इकलौता शख्स था जिसने विश्व की दो महाशक्तियों को नानी याद दिला दी । रूस को अफ़गानिस्तान से खदेड़ दिया तो अमेरिका के हजारों आदमी मार दिये उसकी शान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को उसी के विमानों से गिरा दिया उसके विमान वाहक पोत को ध्वस्त कर दिया और दुनिया भर मे उसके ठिकानो पर हमले किये और आज भी हर रोज दुनिया भर मे अमेरिकियों को मार रहा हैं । मोरक्को के मारकेश मे पिछले हफ़्ते दर्जनो यूरोपियो को उसने मार दिया आदमी तो शेर था इसमे शक नही ।


नुक्कड़ मे फ़िर खलबली मच गयी आसिफ़ भाई बोले यार दवे मेरा शक गहराते जा रहा है चेक करना पड़ेगा कहीं हिंदू की खाल मे अपना जात भाई तो नही घूम रहा । मैने कहा वो तो खतने से चेक हो जायेगा आसिफ़ भाई पर ये कैसे चेक करोगे कि सुन्नी है कि शिया या अहमदिया या सूफ़ी या खोजा या कुछ और मियां इंसान को इंसान रहने दो फ़िरके मे क्यो बाटते हो

तभी दीपक भाजपाई ने कहा यार क्या चूहे को शेर बोलता है बिल मे छूप कर किसी पर वार करना आसान है मर्द होता तो खुल कर लड़ता आमने सामने मासूमो को मारना कौन सी मर्दानगी है । क्या हासिल है उसकी जिंदगी का केवल तबाही मौत ऐसे आदमी को तो तडपा कर मारना था फ़ोकट मे गोली मार दी । मैने कहा चूहे की तरह इसलिये लड़ता था कि मुकाबला गैरबराबरी का था दुश्मन के पास हर तरह के हथियार थे और लादेन के पास सिर्फ़ जज्बा था लड़ता कैसे रास्ता एक ही था


सवाल आया कोई रास्ता नही तो मासूमो को मारो बेगुनाहो की जान लो मैने कहा गद्दाफ़ी के पोते पोती मासूम नहीं थे क्या हिरोशिमा नागासकी मे जो इंसान मरे उनकी मासूमियत भगवान ने वापस ले ली थी ? क्या फ़िलिस्तीन मे जो हो रहा है उसमे मासूमियत कहीं आड़े नही आती । ये यूरोपीय जहां कहीं भी गये जो कहर उन्होने बरपाया उन सब मे मासूमियत की बंदिश नही थी । जापान ने ईंडोनेशिया फ़िलीपीन्स मे कब्जा किया था तो वो दुष्ट था और ब्रिटेन ने भारत पर कब्जा किया वो एक संयोग था । विश्व के जिन देशो मे तेल है वहां की छॊटी बात भी पश्चिमी देशों को चिंता मे डाल देती है और सोमालिया मे तेल नही है तो उनको मरने दो ।  श्रीलंका मे इतने तमिल मारे जा रहे रोज क्यों नही खबरो मे आता है । क्योंकी वहां तेल नही है । बेटा दीपक तेल का खेल न समझ इसमे ही तेरी भलाई है


दीपक बोल उठा इन सब मे लादेन कहां से आ गया मैने कहा आया नही था लाया गया था अफ़गानिस्तान से रूस को भगाने के लिये उसके नेत्रुत्व मे अरब लड़ाको को सीआईए ने लगाया काम निकल गया तो कश्मीर चेचेन्या आदि की ओर लगा दिया पर बिन लदेन अपनी मर्जी का मालिक निकला और उसने ये मतलब भी निकाल लिया की अरब के सारे देशो की सरकारें अमेरिका के भक्त चला रहें है । पैसे थे उसके पास चाहता तो ऐश भी कर सकता था पर उसने जीवन उस दुश्मन के खिलाफ़ होम कर दिया जिससे पहले कोई लड़ भी न पाया था

तभी गुप्ता जी बोल उठे दवे जी तो देश के दुश्मनो की तारीफ़ कर रहे हैं । मैने कहा देश का दुश्मन था मुझे मिलता तो मै भी बेझिझक उसको मार देता पर वो एक मर्द था और मरा ऐसे नही है उसे बेचा गया है वो था आईएसआई के पास उसके संरक्षण मे और उसके हिसाब से काम करना ओसामा की मजबूरी थी ।  उसे बेचा गया है अफ़गानिस्तान मे भारतीयो के हित समाप्त करने की शर्त पर अब होगा ये कि इस मुद्दे पर ओसामा का चाचा ओबामा चुनाव जीत जायेगा और अमेरिका अफ़गानिस्तान से बाहर निकल जायेगा जीत इसमे पाकिस्तान और अमेरिका की हुई है ।

 हार हुई है भारत के हितो की अगर अब भारत बलूचिस्तान और अन्य सामरिक हितो की रक्षा न कर पायेगा और अफ़गानिस्तान मे भारत का दखल बेहद कम रह जायेगा । ओसामा तो हमारा भाई था ओसामा भारत को दुश्मन मानता तो भारत मे रहता अमेरिका जैसे देश की तो उसने बारह बजा दी जहां हर आदमी देश हित मे काम करता है । भारत को बजाना होता तो भारत मे तो उसको मम्मी से लेकर दिग्गी मामा तक सिर मे बैठाते सारे अल्पसंख्यक वोट उसके समर्थन वाली पार्टी को ही जाते । भाई ओसामा तो भारत मे स्टार प्रचारक था खाली फ़ोकट आईएसआई के पास गया अगर भारत मे रहता  तो जब श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड मलिंगा को न बुला सकी तो मजाल है अमेरिका मम्मी और दिग्गी मामा के रहते ओसामा को ले जाता । और हां हारा एक आदमी और है जिसका नाम शर्मा जी है आज बात साफ़ हो गयी कि शर्मा जी भाभी से बेहद डरते हैं वरना वो फ़ोन कभी न छीनते ।

इतना सुनते ही नुक्कड़ मे शर्मा जी की फ़जीहत शुरू हो गयी और मै चैन से यूरिया वाली चाय पीने मे व्यस्त हो गया ।