Wednesday, August 31, 2011

रामू बाबा का अनशन

रामू बाबा का अनशन


बाबा रामू को कहीं से पता चला कि दवे जी नाम के एक फ़ोकट चंद लेखक मुफ़्त में सलाह देते हैं, सो वे हमारे पास चले आये। बाबा से हमने पूछा -"रामू बाबा, ये बताईये कि आप अनशन पर क्यों बैठना चाहते हैं"। रामू बाबा जोश मे आकर बोले हम- "हिंदुस्तान की गरीब जनता को विदेशो से कालाधन मंगवा कर अमीर कर देंगे"। हमने बीच में भाषण रोका - " महाराज मुद्दे की बात करो"। बाबा जी ने धीरे से कहा " मुझे सत्ता सुंदरी से इश्क हो गया है"। हमने सर खुजा कर कहा -"बाबा काम बेहद मुश्किल है और आपकी पिछली गलतियां आपके आड़े हैं।  बाबा भड़क गये -"पूज्यनीय साध्वी को मंच पर बैठाने को गलती कहते हो कल्बे सिदीक नजर नही आया"। हमने हाथ जोड़े - जाओ बाबा आगे जाओ , हमारी सलाह आपको नही चाहिये,  फ़िर एक बार पिटोगे तब वापस आना"।


बाबा तुरंत नरम पड़ गये-  "अच्छा आपकी बात मानूंगा बताईये"। हमने कहा -" तीन बाते हैं, पहला हमारी अप्रूवल के बिना कोई मंच पर न चढ़ेगा"। दूसरे कांग्रेस के साथ भाजपा को भी कोसना है। तीसरे आप अनशन में मौन रहेंगे भारत माता की जय और वंदे मातरम कहने की छूट रहेगी बस।

बाबा चकराये बोले-  "भाजपा को गाली दूंगा तो अनशन का खर्चा कौन उठायेगा , और मौन रहूंगा तो जनता क्या सुनेगी और अनशन की शर्ते क्या होगी"। हमने कहा सत्ता सुंदरी चाहिये तो फ़ोकट में नही मिलती और भाजपा को साथ ले लोगे तो लालू किशन सुंदरी पा जायेगा आप हाथ मलते रह जाओगे। बाकी बातें हम पर छोड़ो  आप चौदह दिन का अनशन की तैयारी करो बस। बाबा ने कहा उसके बाद सरकार न मानी तो?  हमने कहा- श्री श्री 408, और कई भाई जी खाली हैं, सब अपने आप मध्यस्तता के काम मे लग जायेंगे आप वो सब हम पर छोड़ दो।

खैर साहब हमने प्रेस कांफ़्रेंस बुला घोषणा कर दी -" रामू बाबा बीस सितंबर से अनशन पर बैठने वाले हैं, रामलीला में। जब तक सरकार कालाधन वापस नही लायेगी तब तक अनशन नही टूटेगा"। पत्रकारों ने पूछा- "कालाधन वापस कैसे आयेगा", हमने कहा- "सरकार में कांग्रेस है कि रामू बाबा,  सरकार व्यवस्था करे"। पत्रकारों ने पूछा - "आप समय क्यों नही दे रहे",  हमने कहा- "चौसठ साल क्या कम थे जो और समय चाहिये"। पत्रकारों ने पूछा- "आपने कोई अनुमति ली है कि नही"। हमने कहा-  "प्रार्थना पत्र दे दिया है, अब उनकी समस्या है, सरकार में हिम्मत हो तो अनुमति न दे, रामू बाबा सहर्ष कलमाड़ी के साथ तिहाड़ जेल में रहेंगे। बाबा आज से मौन व्रत ले चुके हैं और हां बाबा सरकार की ओर से कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंग, मनीष तिवारी और चिदंबरंम के अलावा किसी से बात नही करेंगे"।

प्रेस कांफ़्रेंस खत्म होने के बाद बाबा हम पर झपट पड़े - "पगला गये हो क्या तिहाड़ भेजोगे और जिन लोगो का नाम ले रहे हो वो तो हम को ढोंगी, पाखंडी कहते हैं" । हमने मुस्कुरा कर कहा- "प्यारे बाबा चिंता मत करो, ये लोग ही आपके सच्चे प्रचारक बनेंगे, इनका एक एक शब्द आपके साथ लाखों लोगो को जोड़ देगा और सरकार का दिमाग नही खराब हो गया कि तिहाड़ भेज फ़िर अन्ना वाली गलती दोहराए।

बीस सितंबर सुबह ग्यारह बजे -


बाबा रामू को ले हम सकुशल रामलीला मैदान पहुंच गये, वहां टैंट आदि की व्यवस्था न देख बाबा चकराये बोले- "अरे सिर्फ़ माईक और भोपूं लगा है, हम खुले में बैठेंगे", हमने तुरंत उनको मौन व्रत की याद दिलाई,  मन मसोस कर बाबा मंच पर जाकर बैठ गये, हमने वंदे मातरम का गीत बजवा दिया। उसके बाद मंच पर चढ़ बाबा के अनशन शुरू होने की घोषणा कर दी। ज्यादा लोग नही थे दो सौ के करीब मीडिया वाले हजार पुलिस कर्मी ड्रेस मे और इतने ही सादे कपड़ों में, हजार करीब तमाशायी भी थे और इतने ही भारत का झंडा लिये बाबा समर्थक। शाम होते होते सैर सपाटे पर निकलने वाले लोग भी जमा होने लगे। हमने मंच से घोषणा करी,  कल सुबह बाबा युवतियों को चिरयौवना रहने का अद्भुत और गुप्त योग सिखायेंगे। रात होने पर बाबा धीरे से बोले दवे जी हमारा मन घबरा रहा है हमने कहा कल कहना कुछ नही है बस थोड़ा कठिन वाले स्टेप्स सिखा देना इशारों इशारों मे। बाकी हम देख लेंगे बाबा बोले पंडाल और बाकी व्यवस्था हमने कहा उसका इंतजाम हो गया है सरकार कल सुबह से भिड़ जायेगी।

 21 सितंबर सुबह

अगली दिन अखबारों मे हेड लाईन(पेड न्यूज)


"एक संत खुले मे ठंड और गर्मी बरसात झेलता भारत माता की सेवा मे अनशन कर रहा है"
बाजू मे अमूल बेबी का दूसरे मामले मे रियेक्शन छपा- "मुझे खुद को भारतीय कहने मे शर्म आती है"। टीवी चैनलों को मसाला मिल गया लोगों से सवाल पूछे जाने लगे,  खुले मे खड़ी हजारों नवयुवतियों, उनको लेने छोड़ने आये अंगरक्षकों और ताड़ने आये मनचलो का रेलमपेल मचा हुआ था।  लोग वाकई क्रोध में नजर आ रहे थे,  कुछ स्वयंसेवक बन मैदान की सफ़ाई भी कर रहे थे।
तभी आनन फ़ानन में पहुंचे सैकड़ो कर्मियों मशीनो से माहौल गुंजायमान हो गया,  आनन फ़ानन मे टैंट तनने लगे दरियां बिछने लगी। हमने मंच से घोषणा की- "बाबा की मातांओ बहनों,  योग कल होगा

22 सितंबर सुबह

अखबारों मे हेड लाईन(पेड न्यूस)

अनशन का दूसरा दिन हजारो की भीड जमा बाबा बिना कालाधन वापस लाये अनशन न तोड़ेंगे


आज पिछले दिन की अपेक्षा ज्यादा रेलमपेल था,  सरकार से दुखी लोगो का जमावड़ा लग रहा था। बाहर से लोग आने शुरू सरकार के पंडाल मे भारत माता का चित्र लगा, बाबा की योग क्लास भी चालू . मनीष तिवारी ने आरोप लगाया करोड़ो रूपये कमाने वाला बाबा,  पंडाल का बिल सरकार से भरवा रहा है। हमारा जवाब - " सरकार को एक एक पाई चुका दी जायेगी।
अखिल भारतीय साधु सभा,  विभिन्न आटो टैक्सी चालक संघ और दो शहरों का हमाल संघ बाबा के समर्थन मे आया

हमने मंच से घोषणा करी बाबा का मत है कि हिंदू मुस्लिम भाई भाई हैं और दोनो को साथ मे हिल मिल कर रहना चाहिये और साथ मिलकर इस सत्ता को उखाड़ फ़ेंकना चाहिये

रात मे बाबा फ़िर झपट पड़े बोले आपने अल्पसंख्यकों का आव्हान कर बहुसंख्यक  हिंदुओ को हम से दूर कर दिया। हमने कहा बाबा सटको मत हमने केवल कुछ लाख अल्पसंख्यकों को दूर भगाने का प्रयास किया है हमने समझाया देश में मुस्लिम नहीं बल्कि धर्मांधता से ग्रसित  दोनो धर्मो के महज  कुछ लाख लोग अल्पसंख्यक हैं। शेष भारतीय़ हिंदु,  मुसलमान सब प्रेम से ही रहना चाहते हैं। बाबा की रेंज से बात बाहर की थी भुनभुनाते सोने चले गये

23  सितंबर

अखबारों मे हेड लाईन(सरकारी न्यूज)

बाबा के आश्रमो मे भारी घपला बाबा का सहयोगी कालकॄष्ण नेपाली पासपोर्ट फ़र्जी डिग्री जाली


हमने वकतव्य जारी किया - " बाबा सरकार को धन्यवाद देते हैं कि उसने गड़बड़ियों को पकड़ा, बाबा देश सेवा में इतने व्यस्त रहते हैं कि आश्रम को समय ही नही दे पाते। सरकार से अनुरोध है कि सभी गड़बड़ियों को पकड़ दोषियों को जेल भेज,  बाबा के आश्रम को साफ़ करे। कालकॄष्ण अगर दोषी हैं तो उन्हे जेल भेजे ऐसे धोखेबाज को छोड़ना नही चाहिये पर बिना आरोप साबित हुये अभी बाबा कालकॄष्ण को मौका देना चाहते हैं कि वे स्थिती स्पष्ट करे।

जड़ी बूटी विक्रेता संघ, रिक्शा चालक संघ और फ़ल विक्रेता संघ का बाबा को समर्थन, फ़िल्म जगत से आमिर खान  समर्थन में,  शाहरूख खान ने बाबा के अनशन के तरीके पर विरोध जताया




क्रमशः- आगे की घटनाओं के लिये

रामू बाबा का अनशन - भाग दो




Sunday, August 28, 2011

सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी का प्यारी सोनिया मम्मी को खत

आदरणीय मम्मी जी

पहले तो मेरी गुजारिश स्वीकार करें,  लौटती डाक से अपनी चरणधूली भेजने की असीम क्रुपा करें।  आशा है, आपका स्वास्थ अच्छा होगा और आप कुशल से होंगी।  मम्मी जी ये बाबा समर्थक बोल रहे हैं कि,  आप अन्ना आंदोलन मे देश को उलझा कर अपना कालाधन ठिकाने लगा रहीं हैं।  सच्चाई जो भी हो पर मम्मी जी आप जल्द से जल्द लौट आयें इसी मे हम सब का हित है।  ये बाबा और उनके समर्थकों से तो कॊई खतरा नजर नही आता,  अन्ना वादी जाने सांसत किया हुआ है।  कोई घर घेर लेता है,  कोई ट्रेन से उतार देता है।  अपने नवीन जिंदल ने सबके हाथों मे हर रोज तिरंगा पकड़ने की छूट क्या दिलवा दी,  हम लोगों की आफ़त हो गयी है।  मालूम ही नही पड़ता,  कौन अपना है कौन पराया है।  वैसे सच कहूं तो मम्मी जी,  अपने आज कल कम ही बचे हैं।  जो कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, चिदंबरम जैसे अपने हैं भी,  उनसे तो  पराये ही अच्छे हैं।  कम से कम मंच से अहिंसा का नारा तो लगा रहे हैं।  वरना इनका बस चले तो कब का हम लोग अस्पताल में नजर आयें।

मम्मी जी आप भारत की है नहीं,  इस लिये आप को पता नही है,  कि यहां मां बच्चो का खयाल रखती हैं।  पर आप इटली की हैं तो हम बच्चो ने सदा आपका खयाल रखा, कि क्या पता आप के मायके में क्या प्रथा हो।  दूसरी ओर आप हमारे देश की बहू भी हैं।  और आज कल दहेज प्रताडना वाला केस भी दर्ज हो जाता है,  अब भारत में केस हो तो जमानती पट्टा भी मिल ही जाता है,  पर यदि आप इंटरनेशनल कोर्ट में केस दर्ज कर देंगी तो पट्टा कहा से आयेगा,  यही सोच कर  हम सभी नेम आपका ध्यान रखा ।

पर मम्मी अब का मामला समझ के बाहर है,  नुक्कड़, चौपाल जाते डर लगता है,  कि कौन जूता मार दे।  ये बाबा वादी लोग तो पहले से ही जाने सांसत किये हुये थे,  कि सोये लोगो पर आधी रात को डंडा क्यो।  अब अन्नावादी पूछ रहे हैं, कि भले हत्यारों और अपराधियों के साथ बंद कर देते,  कलमाड़ी और राजा जैसे लोगों के साथ हमारे अन्ना को बंद किया क्यों ? बीजेपी तो खैर विरोधी है,  लड़ाई पुराना है, और खाने के मामले मे उनसे याराना है।  उनसे कोई दिक्कत नहीं,  पर आम आदमी से कैसे बात करें।  मम्मी जी आप तो करोड़ चौरासी की मां हैं,  आपको पब्लिक पिटाई  के बारे में क्या मालूमं।  पर नित यह खतरा झेलते,  अब तबीयत नासाज रहने लगी है ।


प्यारी मम्मी,  आप के ये मुंशी मैनेजर कुछ भी बोल देते हैं,  कुछ भी कर देते हैं,  जवाब तो हमसे मांगते है लोग।  मम्मी जी कभी ये लोग अन्ना को भ्रष्ट बोल पड़े,  कभी भगोड़ा।  पर ये इन्होने नहीं सोचा कि सच क्या है, और इनको तो आदते पड़ गया है,  कि हम पर आरोप लगे तो विरोधी पर आरोप लगा दो।  पर ये अन्ना अपने लिये थोड़े कुछ मांग रहा था,  और मांग भी रहा था तो तहलका टाईप भंडाफ़ोड़ करते,  पर नही ये लोग हमारी फ़जीहत करने पर ही आमादा हैं। मम्मी जी,  आप तक बात पहुंचे नही रहा है क्या ?  क्या आप को पता नही लोग दुखी हैं पीडित हैं। पर गलती आप की नही है,  कोई आम आदमी दिखने से,  आपको कामन इंडियन पीपल बता कर,  मुंशी मैनेजर लोग पल्ला झाड़ लेते होंगे।

मम्मी जी आज देश का माहौल क्या हो गया है।  अपने को कांग्रेसी कहने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है,  पहले तो यह कह्ते ही लोग प्यार करते थे,  महात्मा सी जय जय कार करते थे।  आज मालूम पड़ते ही अपराधी सा  व्यहवार होता है,  जूतो से,  गालियो से सत्कार होता है। प्यारी मम्मी क्या कमी रह गयी थी,  आज तक तो यह जनता सभी कुकर्मो को सह गयी थी।  माफ़ कीजियेगा पर आपके राज में मीडीया पर वह अंकुश नही, जो आपकी सास के जमाने में था । सबक लीजिये इंदिरा सा व्यहवार कीजिये,  कुछ भी हो पर टीवी/अखबार  मे नही आना चाहिये, बस।


प्यारी मम्मी,  ये कैसे हुआ कि लोक तंत्र में बाबा लोग अन्ना लोग देश हित को आगे आ रहे हैं।  आपके मुंशी मैनेजर कहते हैं कि ब्लैक मेलिंग है,  बाबा फ़्रौड है,  अन्ना चोर है।  पर मम्मी जी अगर ये लोग ऐसे हैं,  और अपने मन मोहन संत हैं, महात्मा हैं,  तो देश मे इतना भ्रष्टाचार कैसे हो गया। क्या आरएसएस और बीजेपी राजा के पीछे है, नही भी है तो भी कपिल सिब्बल,  मनीष तिवारी ऐसा बयान क्यों नहीं दे रहे। मै गरीब आपको क्या सलाह दूं,  आप ही कोई रास्ता निकाल लीजिये। मै तो अब तक  इस महान राजवंश का मुलाजिम था और आगे भी रहूंगा,  दाल रोटी और नमक का गुलाम हूं।  पर आप से एक ही गुजारिश है मम्मी जी,  कांग्रेस में यदि कोई गुप्त पद हो,  जिस बारे मे जनता न जान सके,  तो वह देकर प्लीज मेरा ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष पद वापस ले लें  ।

आपका अपना

सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी


पुनःश्च

प्यारी मम्मी,  ये अंबिका सोनी जो सूचना और प्रसारण मंत्री हैं।  वो अपना काम ठीक से नही कर रही हैं। आपातकाल के समय इसी मैडम ने ऐसा चकरा चलाया था कि सारे अखबार और पत्रकार लाईन मे आ गये थे।  मम्मी जी,  आज भी अगर ये जैसा प्रेम संजय गांधी से करती थीं, आपसे करें तो दो दिन मे मामला राईट हो जायेगा।

Wednesday, August 24, 2011

अन्ना गांधी का वध क्यों --- मनमोहन गोंड़से

नुक्कड़ पर यूरिया वाली चाय पीते समय हमने भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी से पूछा- " क्यों भाई शर्माजी आपके मनमोहन गोड़से इस अन्ना गांधी का वध क्यों करना चाहते हैं"। शर्मा जी भड़क गये-" यार दवे जी आप क्यों हर समय उसजुलूल बाते करते हो,  मनमोहन तो अन्ना की इज्जत करते हैं, और आप को क्या लेना देना, आप क्यों पूछ रहे हो"। हमने कहा भाई गोड़से भी इज्जत करता था,  उसने मारने के पहले गांधी जी के पैर भी छुये थे।  रही बात हमारी तो हम गोड़से जैसे इस बारे मे किताब लिखना चाहते हैं"। शर्मा जी भन्नायें- " कुछ हुआ ही नही है , और आप किताब लिखोगे"।  हमने कहा- "भाई ऐसा होने वाला है,  ऐसा नजर आ रहा है"।  "किताब लिखने वाले को घटना होने के पहले की परिस्थितियों और कारण के पर भी प्रकाश डालना होता है कि नही"।

शर्मा जी बोले-  "यार हमारा अन्ना से कोई बैर थोड़े ही है, हमें तो उनके अनशन के तरीके से और उनकी संसद को नींचा दिखाने की अवधारणा से बैर है"। हमने कहा - "गोड़से को भी गांधी जी से बैर थोड़े था,  उसको गांधी की विचार धारा और उनके अनशन के हथियार से ही बैर था"। "गांधी इसी अनशन से दंगे बंद करा देते थे, अपनी बात मनवा लेते थे"। "और गोड़से ने तो अपनी सोच में राष्ट्र भक्ति का ही काम किया था,  उसे लगा कि गांधी ने देश का बटवारा करवा दिया,  हिंदुओ का नुकसान किया तो उसने ये जघन्य कॄत्य कर डाला,  पर फ़िर भी अपने स्वार्थ में नही देश के स्वार्थ के लिये" ।" अगर गोड़से को कोई सही समझाने वाला मिलता तो वह अपनी देशभक्ती का सहीं प्रयोग करता,  पर आपका मन्नू , उसकी मम्मी और उस मम्मी के चालीस चोर तो देश भक्ति मे नही मम्मी भक्ति मे, निज स्वार्थ पूर्ती के लिये इस अन्ना गांधी को मारने वाले हैं"। "उनका अपराध तो अक्षम्य होगा"। " उस देशभक्त पर मूर्ख गोड़से को तो आज तक किसी ने माफ़ नही किया, आपके देशद्रोही और महा कुटिल मनमोहन गोड़से को तो युगों युगों तक मीर जाफ़र और जयचंदो की श्रेणी मे रखा जायेगा।
शर्मा जी ने तुरंत प्रतिवाद किया बोले, " हम तो परम पूज्यनींय, नित्य स्मरणीय बाबा साहब के सिद्धांतो और उनके बनाये संविधान का पालन कर रहे हैं"। मैने कहा- " उसी संविधान मे पीएसी के बारे मे व्यवस्था दी गयी थी,  क्या किया उसका आप लोगो ने,  मनमाने अध्यक्ष चुन लिया,  जोशी जी की रिपोर्ट खारिज कर दी,  वोटिंग करा दी क्या इसकी व्यवस्था थी,  आदरणीय़ बाबा साहब के संविधान मे"। शर्मा जी बोले, - " संविधान के अनुसार जिसका बहुमत हो उसी की बात मानी जाती है"। हमने कहा- " आज देश मे अन्ना का बहुमत है, जनलोकपाल बिल में क्यों नही मानते उनकी बात"।" क्यों शाहबानो प्रकरण मे संविधान बदल दिया था"।" क्या संविधान मे ये लिखा था,  कि आदिवासियों को उनके जंगलो से खदेड़ उसे सागौन और साल के जंगलो ने बदल दो,खदानो मे बदल दो। दलितों को खदेड़ उनकी जमीनो पर कब्जा कर कारखाने लगवा दो, बिल्डिंग तनवा दो"।

तभी दीपक भाजपायी बीच में कूद पड़े - "सहीं है दवे जी,  इस संविधान की तो कांग्रेस पार्टी मे धज्जियां उड़ा दी हैं"। हमने पूछा - "आप लोगो ने क्या किया,  और क्या कर रहे हो"।" पिछले गांधी को तो आप लोगो ने नकार दिया था,  आज तक उस भूल का खामियाजा भुगत रहे हो"।" अपनी अंटशंट किताबो से युवा समर्थकों का दिमाग तक खराब कर दिया है"। "आज मौका था भूल सुधार का,  पहले दिन से इस गांधी से बातचीत कर अपने अपने विचार सामने रखने का"  तो बाबाओं को,  यतियों को सामने कर दिया"।

"जनसैलाब तक उठता नहीं दिखा,  समझ में नही आया कि जनता सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी से नही,  वरन पूरे सड़े हुये सिस्टम से त्रस्त आ गयी है"।" इस आल पार्टी मीटिंग का उपयोग कांग्रेस कैसे करेगी पता है आपको ? जैसे आप बाबा रामदेव के पीछे छुप सत्ता पाने पाने की सोच रहे थे, वैसे अब कांग्रेस  संसद के पीछे , संविधान के पीछे छुप इस गांधी को नकारने की सोचेगी। "जब उसे लगेगा कि मामला हांथ से बाहर जा रहा है,  तब तपाक से कूद कर इस गांधी को भी गले से लगा लेगी जैसे पिछले गांधी को लगाया था और साठ साल मलाई चाटी थी

"दीपक बाबू गोंड़से पैदा मत कर गांधी को पहचानो,  हिंदू हिंदू चिल्लाते हो तो जान लो गांधी ही हिंदू समाज के सबसे बड़े संत थे"। "जिन्होने पहचान लिया था कि इसी जातिवाद के कारण हिंदू समाज सदियों से हारता आया है"। "उन्होनें हरिजन उद्धार की जो मुहिम शुरू की,  उसी के कारण आज देश मे दलित मुख्य धारा में हिंदू समाज से जुड़ रहें हैं"। "वरना जितने पिछड़े थे, सब अपना धर्म बदल लेते,  आधे मुसलमान बन जाते , आधे इसाई और आप अपना राम राम भजते रहते"।


"खैर साहब खामखां इन मूर्खों को समझाने मे मैं अपना वक्त जाया करता हूं।  सालो बाद आज तो ये सही काम कर रहे हैं,  जनता जाग रही है"। "और ये भड़काने के लिये आग मे धी डाल रहे हैं"। "अच्छा है इस मनमोहन को गोड़्से बन जाने दें",  कम से कम ये मुर्दा कौम जाग तो जायेगी"। भगवान ने बड़ी मिन्नतों के बाद ऐसे मूर्ख सत्ताधारी और विपक्षी दल भेजे हैं। हमको भी सालो से तलाश थी भारत के मिखाईल गोर्बाचोव की"।

Sunday, August 21, 2011

अन्ना के आंदोलन पर नुक्कड़ बहस

सुबह सुबह नुक्कड़ पर यूरिया वाली चाय पीते समय हमनें कहा - "भाईयों कल धोनी का फ़ोन आया था,  कह रहा था, हम तो पिट रहें हैं, लेकिन अन्ना को बाबा टाईप पिटने न देना"। भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी हंसने लगे, बोले -"क्या फ़ेंकते हो यार दवे जी"।  हमने कहा-"क्यों फ़ेकने का ठेका सिर्फ़ कांग्रेसियों को मिला हुआ है,  दूसरे नहीं फ़ेंक सकते"। "कभी बोलते हो बाबूराव हजारे उर्फ़ अन्ना सर से पांव तक भ्रष्टाचार मे लिप्त है, कभी  कहते हो सेना छॊड़ भाग गये थे"। बिल बनाने की इच्छा नही और दायें बायें की हांकते हो"।

तभी एक बाबा वादी ने दखल दिया कहने लगे - "दवे जी ये कांग्रेसी निपट बदमाश हैं,  अन्ना हजारे इनका एजेंट है"। हम जरा झटके मे आ गये यह दिव्य विचार एक दम नया था।  हमने पूछा- "बड़े भाई जरा कुछ विस्तार से समझाओ"। जवाब मिला - "इस बार अन्ना जी के मंच पर  गाँधी आ गए हैं, भारत माता का चित्र आउट हो गया है"। " अग्निवेश, मल्लिका साराभाई जैसे कांग्रेसी एजेंट अन्ना के साथ जुड़े, जिन्होंने रामदेव जी द्वारा पकी-पकाई खिचडी में गांधीवादी-सेकुलर ( कोंग्रेसी) मुलम्मा चढ़ा दिया"।  इसमे सेकुलर मीडिया नें भी बहुत महती भूमिका निभाई।

हमने पूछा - "क्यों भाई,  कहीं ये दर्द इसलिये तो नही कि आपकी पूज्यनीय साध्वी को मंच पर बुला भाजपायी साबित होने के बाद पिटे बाबा का जनसमर्थन नही मिला, और अन्ना को अपार समर्थन मिल रहा है"।" उस पर आपके भाजपायी बाबा को राजनीतिक होने के कारण मंच से दूर कर दिया गया है"। "अन्ना की वंदे मातरम की ललकार को आपको  सुनाई नही पड़ रही"। " दिक्कत आप को अन्ना से है,  या गांधी के फ़ोटो से "।

 "हमने कहा गांधी जी की फ़ोटॊ से दिक्कत है फ़िर क्यों नहीं आपके बाबा और भाजपा गोड़से की फ़ोटॊ लगाते क्यों राजघाट जाते हैं धरना देने, श्रद्धांजली देने"।  " क्यों हर आंदोलन मे कट्टर हिंदुत्व घुसाना चाहते हो। हमको नही है स्वीकार कट्टर हिंदुत्व की अवधारणा हम हिंदू मुस्लिम एकता के पक्षधर हैं "। " आप की विचारधारा हमसे अलग है, तो आप कट्टर हिंदुत्व का अलग आंदोलन शुरू करो जनता को साथ देना होगा तो देगी"। "ये क्या कि भ्रष्टाचार के विरोध के गुड़ मे लपेट कट्टर हिंदुत्व की मक्खी हमारे गले में उतारना चाहते हो" ।

बाबा वादी ने मुंह बिचकाया बोले -"दवे जी आप कांग्रेसी हो"। हमने तुरंत आस्तीन चढ़ाई, कहा एक बार कांग्रेसी कह दिया,  अगली बार यह गाली दी तो आप का मुंह तोड़ देंगे। तभी एक स्वयंभू दलित नेता ने दखल दिया, बोले - " दवे जी,  ये स्वर्ण समाज का आंदोलन है,  हमारा नहीं"। हमने कहा- " भाई भ्रष्टाचार से सबसे अधिक तकलीफ़ किसको है, अगड़ों को कि पिछड़ों को"। " किसी मध्यम वर्गीय आदमी को पाला ही कितना पड़ता है सरकार से साल मे एक दो बार लाईसेंस पासपोर्ट के लिये ज्यादा हुआ तो नगर निगम का टैक्स पटाने के लिये"। "वो पैसा देगा तो या समय बचाने के लिये या पैसा बचाने के लिये"। " पिछड़ा वर्ग उसे तो हर महिने का राशन, खाद, रोजगार गारंटी ,बच्चों के लिये कापी किताब चाहिये"। "अमीर के पास पुलिस से काम पड़ेगा तो एक फ़ोन लगायेगा काम हो जायेगा ठोला भी इज्जत से बात करेगा,  गरीब उसे तो डंडा पहले पड़ेगा बात बाद मे होगी" । "अमीर बीमार होगा तो निजी हस्पताल जायेगा और गरीब सरकारी हस्पताल जायेगा फ़िर इलाज के लिये दवाईयों के लिये रिश्वत" ।  "तुम लोग ठेकेदार बनते हो दलित वर्ग के,  उनके भले के लिये आंदोलन चल रहा है तो होशियारी दिखा रहे हो"।

एक विरोधीलाल जो आदतन जमाने के विरोध मे रहते हैं बोले, "पर ये अरविंद केजरीवाल का बिल ही क्यों, हमारी अपनी सोच है हमने अपना बिल बना रहे हैं"। हमने कहा तो अब तक सो रहे थे विरोधीलाल जी,  ये लोग जनता से दो साल तक सुझाव मांगते रहे क्यों नही गये"।" इनको छोड़ो चौसठ साल हो गये बिल नही बना तब आप लोग क्या कर रहे थे"। और कमी नजर आ रही है तो  प्रावधान दर प्रावधान चर्चा क्यों नही करते,  कि इस प्रावधान मे ये कमी है या ये दिक्कत है" । असली बात यह है कि  जिनका पेट दुख रहा है अन्ना की सफ़लता से बाबा को साथ न लेने से कांग्रेस की फ़जीहत से उनको करोड़ों कमिया नजर आ रही हैं।

सभी लोगो मंत्रणा की कि दवे जी के आगे बीन बजाना बेकार है, क्यों न चल कर किसी दूसरे को भड़काया जाये। तो साहब वे सब तो मुझे छॊड़ चले गये और मै सर खुजाता रह गया कि हे भगवान किस देश मे पैदा कर दिया मुझे। जहां के लोग देशहित की बातों में भी अपना अपना स्वार्थ खोजते हैं। कोई दलित बन सोचता है,  कोई कट्टर मुसलमान बन, कोई कट्टर हिंदू बन दिमाग लगाता है,  कोई पार्टीवादी बन।  भारतीय बनकर क्यों कॊई नही सोचता। खैर यह सोचते सोचते मैं सोच ही रहा हूं, आप भी सोचिये बात है ही सोचने वाली।

Wednesday, August 17, 2011

कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक मे दवे जी

साहब,  कांग्रेस को भीषण संकट के इस काल में किसी ने सुझाव दिया कि दवे जी नाम के एक फ़ोकट चंद लेखक हैं। जो आज कल सत्ता सुंदरी के नाम से चिठठीयां लिख लिख नेताओं, बाबाओं को सलाह दे रहे हैं। क्यों न उनसे इस संकट पर सलाह ली जाये। बुलावा मिलने पर हम तत्काल पहुंच गये, हमसे अन्ना नामक संकट से निपटने पर विचार मांगे गये, यह भी पूछा गया कि दवे जी इस अन्ना को मिल रहा जन समर्थन कैसे खत्म किया जाये।


हमने कहा - "इस अन्ना को कोई समर्थन तो मिल ही नहीं रहा है"। सुनते ही कपिल सिब्बल जी उछल पड़े बोले -"मै न कहता था, ये तो टीवी मे देख देख कर लोग तमाशा देखने पहुंच रहे हैं"। फ़िर कपिल जी आदतन कुटलिता से मुस्कुराये बोले - "इसको बाबा जैसे पकड़ कर दिल्ली से बाहर करो सब ठीक हो जायेगा"। हमने माथा पकड़ लिया कहा -" वकील साहब हर बात में ज्यादा होशियारी झाड़ना महंगा पड़ता है"। "और ये जो बार बार दांत निपोरते हो इसे बंद करो,  पूरा देश आपके उपर भड़का हुआ है"। "हम कह यह रहे थे कि ये अन्ना का समर्थन नही आपकी पार्टी को असमर्थन है, जो सड़कों पर उमड़ पड़ा है"। आपके प्रवक्ताओं की अकड़, बदजुबानी, बेशर्मी से देश स्तब्ध है, इतने घोटालों के बाद जो शर्मं और अफ़सोस आपके चेहरे पर नजर आनी चाहिये वो नदारद है।  कड़े कदम उठा दागी मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को जेल भेजते, पार्टी में आमूळ चूल हेर फ़ेर करते,  तो यह नौबत नहीं आती।


मनमोहन जी बोले- "हमे भाषण नही सुनना,  उपाय हो तो बताईये"।  हमने कहा- " अन्ना को गिरफ़्तार करने का निर्णय किसने लिया था,  पहले आप यह बताईये"। वोरा जी बोले- "ये निर्णय शासन का है, पार्टी का इससे संबंध नहीं है"।  हमने चिदंबरम की ओर देखा तो वो कहने लगे-  "कानून व्यवस्था का काम पुलिस प्रशासन का है,  इससे सरकार का मतलब नही"। हमने कहा-  "दाई से पेट छुपाओगे कांग्रेसियों, तो सरकार का दो साल मे ही गर्भपात हो जायेगा,  ये फ़ालतू की सफ़ाईगिरी बंद करो"। फ़िर हम राहुल जी की ओर मुड़े पूछा- " बाबा क्या कांग्रेस इतनी चोर हो गई है कि ये वकील ही भर्ती करते हो"। " जमीन से जुड़े नेताओं को रखते तो ये नौबत ही नही आता,  पहले ही बात समझ जाते कि जनता बेहद क्रोध मे हैं"।  "खैर आप लोगो को अन्ना को गिरफ़्तार करना भारी पड़ चुका है अब रास्ता केवल एक ही है"।


"सबसे पहला कदम यह उठाओ कि मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंग जैसे महापुरूषों को अज्ञातवास में भेज दो"।  "दूसरा कदम,  जितने बेईमान हो उतनी ही ईमानदारी से इस बिल को पास कराने मे भिड़ जाओ"।  तभी एक महाशय बीच में कूदे कहा - "ओ शिवाजी बिल पास ही करना है तो फ़िर तुम्हारी सलाह क्यों मांगते"। हमने  कहा - " कांग्रेसियों दूसरो की पूरी बात सुनना ही तुमको आता तो आज ये नौबत नहीं आती,  अपना मुंह बंद कर पूरी बात सुनो"। "हां,  तो मै यह कह रहा था,  कि रामलीला मैदान मे अन्ना की लीला शुरू होने के अगले दिन,  बाबा को दो तीन युवा नेताओं,  जैसे जिंदल, पायलट आदि के साथ अन्ना के पास रवाना कर दो"।  " ध्यान यह रखना कि स्वयं किरण बेदी और केजरीवाल अगवानी करें वरना पब्लिक फ़ोड़ाई की भी संभावना है"।  "जाते ही अन्ना के कैमरों के सामने चरण स्पर्श कर आधे घंटे मंच के सामने चुपचाप विराजमान हो जायें और फ़िर बिना कुछ बोले वापस आ जायें"।  फ़िर अन्ना की कमेटी को बुला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में एक समिती बना लेना,  बिना होशियारी किये सर्वसम्म्ती के नाम होना चाहिये"।

"आपकी तरफ़ से उसमे केवल प्रणब दादा रहें,  और विपक्ष का कोई न रहे"।  "उस समिती से जितनी मांगे मनवाई जा सकें मनवा कर,  दो दिन के अंदर बिल का प्रारूप बिना होशियारी किये संसद में पेश कर देना"।  "इस बीच मीडिया के सामने कोई कुछ न कहे"।  "इसके बाद गेंद विपक्ष के उपर डाल,  शांती से जुगाली करते बैठना।  "कुछ कहना तो बिल के समर्थन में अन्यथा समिती की इज्जत के नाम पर चोंच बंद ही रहे"। इस बीच आपके युवा सांसद सरकार के पिछली हरकतों पर गुस्सा जाहिर कर सकते हैं,  और सोनिया की बीमारी के कारण राहुल बाबा के न होने की दुहाई दे सकते हैं"।


"बस फ़िर आप जितने चोर हो विपक्षी भी उतने चोर हैं, अपनी होशियारी घुसाये बिना बने बिल पर तमाम अड़ंगे लगायेंगे"।  "उनको अन्ना टीम के साथ निगोशियेसन मे लगने देना"। वहां मायावती, लालू,  मुलायम जैसे तमाम विद्वान बैठे ही हैं। जनता का जो आक्रोश आप पर है उनकी ओर मुंड़ जायेगा"। और इसी बीच कोई न कोई रास्ता निकल आयेगा।  इतनी सलाह दे अपने राम बैठक छोड़ निकल आये।


अब कांग्रेसियों नें हमारी सलाह कितनी मानी यह तो वक्त ही बतायेगा। पर अपना पुराना अनुभव है कि कॊई किसी की सलाह  मानता नहीं है। और नेताओं में तो यह बीमारी और गंभीर होती है। खैर साहब ऐसा लगता है कि इन कांग्रेसियों को निकट भविष्य मे अपनी फ़्री सलाह की फ़िर जरूरत पड़ेगी,  आपके कुछ सुझाव हों तो अवश्य बता दीजियेगा मै कांग्रेसियों तक पहुंचा दूंगा।

Monday, August 15, 2011

मनमोहन को सत्ता सुंदरी का पत्र

श्री मन्नू


प्यारे इसलिये नहीं कहा कि अब मुझे आपसे प्यार नहीं रहा।  पिछले सभी पतियों की तरह आपकी भी फ़ोटो मेरे भूतपूर्व पतियों के साथ टंगने वाली है। इन पतियों की दो श्रेणियां हैं, ए ग्रेड पतियों में नेहरू जी शास्त्री जी से लेकर राजीव जी अटल जी जैसे पति हैं, जिन्हे आज भी मै शिद्दत से याद करती हूं।  इनमे कमियां थी पर ये कमीने नही थे। दूसरी श्रेणी मे चंद ऐसे नाम हैं जिन्हे मैं अपनी जुबान पर लाना भी नही चाहती। अब आप भी इन दोनो मे से किसी न किसी श्रेणी में जायेंगे ही।


इतने दिनो के दांपत्य जीवन मे मुझे अस्मिता का ऐसा संकट पहले कभी नही आया था। जिस संविधान को साक्षी मान कर आपने मेरे साथ फ़ेरे लिये थे।  और जो कसमें खायीं थी, क्या आप सभी को भूल गये हैं।  क्या आपने यह नहीं कहा था कि मैं विधी द्वारा बनाये गये संविधान का पालन करूंगा,  और जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा करूंगा?  या आपने युधिष्ठिर की तरह छल कर,  अपनी पार्टी के संविधान का नाम लिया था। क्या शोभा देता है,  किसी वकील को बैठा कर संविधान की मनचाही व्याख्या करवाई जाये। आप मेरे पितामह गांधी के आदर्शो पर रोक लगाना चाहते हैं,  लोकतंत्र को छिन्न भिन्न कर देना चाहते हैं।

आपने ये न सोंचे कि मुझसे विवाह को लालायित, पाईप लाईन में लगे लालकिशन के बहकावे मे आकर यह कह रही हूं। मुझे उनकी भी सब चालें पता है,  नीयत साफ़ होती तो मर्दो की तरह सामने आकर कहते कि मुझे लोकपाल की यह शर्ते मंजूर हैं, और ये नामंजूर। पर वे दूर से आग सेंक,   इंतजार कर रहे हैं कि कब मेरे बच्चे आपको भूतपूर्व कर दें और वे आकर मजे करें।


मै दोष आप को दे रही हूं,  कि आप मेरे वर्तमान पति हैं। और आपके पति रहते तमाम वो चीजें हुयीं हैं,  जिनके कारण आज बिना स्वयंवर में भाग लिये अन्ना आप को ललकार रहे हैं। आप राजसभा और उसकी सभी संस्थाओं की मर्यादा को तार तार होते देखते रहे।  आपके नजायज संबंधियो ने मेरे राजप्रसाद को बेतरह लूटा,  और नियमो का उलंघन ही नही अपमान भी किया। आप के राज परिवार नें आज वो नौबत ला दी है,  कि बिना राजकुल मे शामिल हुये कोई मेरे स्वयंवर मे शामिल नही हो सकता। और स्वयंवर जीतने के लिये ये तमाम राजकुल,  मेरे ही राजप्रसाद से लूटी धनराशी का उपयोग करते हैं। और हदें यहां तक पार हो गयी हैं,  कि कुल मर्यादा को भूल बदतमीज और अपराधिक षडयंत्रों मे शामिल लोग राज सत्ता के प्रवक्ता बन आम जनता को ललकार रहे हैं।

और आप यह भी न सोचे कि आप के नकार देने से आपके संबंधी आपके संबंधी  कहलाये नहीं जायेंगे। देर सवेर ही सही एन डी तिवारी जैसे डीएनए टेस्ट करवाना ही होगा। अदालतें अब जान चुकी हैं कि उनकी साख पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आप यह भी न सोचना कि इन अपराधों के इतिहास में आपके साथ मुख्य गुनहगारो के नाम भी होंगे। इतिहास सदैव राजाओं के नाम दर्ज करता है उसके मंत्रियों को कोई याद नही रखता।


आप को अभी भी मौका है,  अपनी गलतियों को सुधार सहीं कदम उठाने का।  लोकतंत्र और संविधान की गरिमा को वापस स्थापित करने का। जिस क्षण आप कड़े नियमो की घोषणा कर देंगे आपके विरोधी और आप को सामने रख माल उड़ाने वाले दोनो छटपटा जायेंगे,  लेकिन असहमति व्यक्त नही कर पायेंगे।  इन सात सालों मे आपके पास गौरवपूर्ण उपलब्धियां भी हैं ही,  सामने आईये और सही निर्णय लीजिये। वरना जिस राजवंश की खातिर आप ने इतनी बदनामी उठाई है, वह तो सदैव बना ही रहेगा।  नौबत आयेगी तो आपको भी खलमाड़ी के बाजू खड़ा करने मे वक्त नही लगायेगा। और आपकी जो फ़ोटॊ टगेंगी उसमे इतने दाग लग जायेंगे,  कि आपका चेहरा भी नजर नही आयेगा।

आपकी शुभचिंतक

सत्ता सुंदरी

Friday, August 12, 2011

ए भाई कोई अफ़जल गुरू को बचा लो भाई

जैसे ही अफ़जल गुरू की फ़ांसी की बात पहुंची,  नुक्कड़ मे खुशी की लहर छा गयी। सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने गर्व से सीना फ़ुलाया,  कहने लगे - "कांग्रेस के घर देर है अंधेर नही"।  दीपक भाजपायी बाजू मे खड़े थे, ठठाकर हंसने लगे। बोले - "वाह रे गिरगिट,  अगर हमने नाक मे दम न किया होता तो तुम लोग सौ साल तक उसे दामाद बना कर रखते, वह तो हमारी पार्टी है कि आज अफ़जल गुरू को फ़ांसी चढ़ने की नौबत आयी है" । "जल्द ही हम लोग कसाब को भी इसी तरह लटकायेंगे"।

शर्मा जी भी कम न थे, आस्तीन चढ़ा कर बोले -  "फ़िर क्यों दामादो को हवाई जहाज से काबुल छोड़ने गये थे"। "इतने शिवाजी बनते हो तो क्यों जिन्ना की मजार पर तारीफ़ के पुल बांध आये"। दीपक भाजपायी ने आरोपो की बौछार कर दी - "दामादो को छोड़ने के फ़ैसले मे आप शामिल थे",  "और ओसामा को जी कहते हो, जिन्ना को देश बाटने किसने दिया, श्रीलंका से तिब्बत तक इंडोनेशिया से अफ़गानिस्तान तक फ़ैले हमारे महान हिंदू राष्ट्र के टुकड़े टुकड़े करवा दिये"। बहस तेज हो गयी पर हमारी आशा के विरूद्ध आपस में जूतम पैजार नहीं हुयी। होती भी क्यों ये लड़ाई हाथी का दांत जो थी,  दिखाने के लिये लड़ रहे थे, खाने वाला दांत तो दोनो के लिये ही काम करता है।

खैर भीड़ अब इस हिजड़ा लड़ाई से उब चुकी थी,  आसिफ़ भाई का स्टेटमेंट जानने के लिये हर कोई उत्सुक था। अखबार वाले मीडिया वाले सारे वहीं थे।  ये लोग जो पत्रकार कहे जाते थे,  आज कल पत्रनवीस हो गये हैं। पत्रनवीस माने वह आदमी जो दूसरो की भावना को अपने हिसाब से बयां करे। मुख्य बात यह थी कि यदि आसिफ़ भाई फ़ांसी का विरोध कर देते,  तो दिन भर की धमधमाती हेडलाईन का जुगाड़ हो जाता और ये पत्रनवीस बाकी दिन की छुट्टी ले सकते थे।

आसिफ़ भाई बोले- "अपने ही शहर मे हजारो मुसलमान गरीबी रेखा के नीचे हैं, उनकी बात नहीं होगी। हमारे नेता पूरी दुनिया के मुसलमानो के ठेकेदार हैं, सर्बिया से लेकर अफ़गानिस्तान, कश्मीर, चीन पता नही कहां कहां ठेका इन्हें मिला हुआ है। और जो अरब मुल्क हैं वो इन लोगो के आंदोलन को भीख देकर अपने धर्म से छुट्टी पा लेते हैं और अमेरिका जा ऐश करते हैं। कौन समझाये इन मूर्खों को कि हम हिंदुस्तानी हैं तो हिंदुस्तान की तरक्की अखंडता मे हमारी भलाई है। जो हिंदुस्तान का दुश्मन है वह हिंदुस्तानी मुस्लमानो का दुश्मन है

इतना सुन सारे पत्रकार निराश हो गये, आखिर देशभक्ति की बातें ब्रेकिंग न्यूज कहां बन सकती थीं। तभी हमने दीदार के दिलीप कुमार की तरह गाड़ियां रोक रोक चिल्लाना शुरू कर दिया "ए भाई कोई अफ़जल गुरू को बचा लो भाई"। ताबड़ तोड़ सारे कैमरे और पत्रकार हमे घेर खड़े हो गये। लाईव न्यूज में हमारा चेहरा चमचमाने लगा। सवाल दागा गया- "आप क्यों बचाना चाह रहे हो"। हमने कहा -"हम हर देशभक्त को बचाते हैं"। पत्रकार  बैकफ़ुट मे आ गया, उसने  पूछा- " वह तो आतंकवादी है, आपको देशभक्त कैसे नजर आ रहा है"।  हमने कहा -" आतंकवादी तो मासूम  आम आदमी को मारते हैं। यह तो नेताओं को मारने गया था। उन नेताओं को जिनकी लूट खसोट से देश त्रस्त है"। पत्रकारों की बांछे खिल गयी,  एक ने पूछा- " संसद तो देश का दिल है सम्मान है उस पर हमले को आप किस तरह जायज ठहरा सकते हो"।

हमने जवाब दिया-" ये अब संसद रही नही असंसद हो चुकी है। संसद यह तब थी जब इसमे नेहरूजी, अटल जी लालबहादुर शास्त्री, मौलाना जैसे सांसद बैठते थे"। अब यहां पैसा खा वोट देने वाले; सवाल पूछने वाले, जाति धर्म के नाम पर अवाम को बांट वोट पाने वाले बैठते हैं। पहले नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा देने वाले मंत्री थे। अब मंत्री ऐसे हैं जो दो लाख करोड़ का घोटाला कर सीनाजोरी से एक नंबर मे रिश्वत खाते हैं,  ऐसे भी हैं जो पहले चोर अपराघियों के वकील थे और अब ऐसे घॊटाले करने वाले लोगों का बचाव करने के लिये प्रवक्ता और मंत्री बनाएं गये हैं। अब तो नौबत यह है कि खुले आम सत्ताधारी दल कोर्ट और कैग जैसी स्वायत्त संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। पैसा खिला आप जैसे पत्रकारो से उनके बारे में मनगढ़ंत घुमा फ़िरा कर कार्यक्रम जनता को दिखा रहे हैं।  कानून मंत्री सुप्रीम कोर्ट के जजों पर टिप्पणी कर रहे हैं। ऐसी असंसद पर हमला राष्ट्र द्रोह नही देश प्रेम है"।

सवाल तो साहब सैकड़ो पूछे गये, लेकिन अपन रामदेव बाबा टाईप ज्यादा बयान दे,  फ़जीहत कराने के मूड में नही थे। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अघट घटित हो गया। हुआ कुछ ऐसा कि सब्जी का इंतजार कर रही श्रीमती को जब चैनल मे हमारा चमचमाता चेहरा नजर आया तो बेलन लिये धड़धड़ाते हुये नुक्कड़ पहुंच गयीं और सरेराह धुलाई करते हुये घर  ले गयीं। सारी बेईज्जती खराब हो गयी, मुख्य मुद्दा रह गया सो अलग। टीवी चैनलो हम छाये जरूर थे।  बाबा रामदेव की सेना टाईप पिट भी रहे थे,  पर जनता से कोई सहानुभूती न मिली, लोग पेट पकड़ कर हंस रहे थे, सो अलग। खैर जनाब इस घटना पर कुछ ब्रेकिंग न्य़ूज के टाईटल बता रहा हूं हमारे महान चैनलों के


जी न्यूस -  अफ़जल गुरू की फ़ांसी का विरोध करने पर पत्नी ने सरे राह पीटा  

 न्यूस24  -  देशद्रोही की सरे राह पत्नी द्वारा पिटाई

ईंडिया टीवी-  क्यों पिटा पति-- किसने पीटा उसको- कैसे पीटा गया- अफ़जल गुरू से उसका क्या रिश्ता था
(माफ़ कीजियेगा बैकग्राउंड म्यूजिक की सुविधा नही है)  


 चलिये हमारी असली बात तो जनता तक पहुंची नही आप तक पहुंची है। अपना विचार बताईयेगा कि आदरणीय अफ़जल गुरू को फ़ांसी दी जाये या उसे एक मौका और देना चाहिये हमले का।

Tuesday, August 9, 2011

देखो अन्ना इस बिल से भ्रष्टाचार बदनाम तो न होगा

साहब आज की बैठक नुक्कड़ में न थी। शहर से दूर एक ढाबे में भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने दावत रखी थी। दावत इस कर के थी कि कोई भी समझदार कांग्रेसी आड़े वक्त मे लेखक और पत्रकार इन दो प्राणियो को अवश्य खिलाता पिलाता है।  आजकल भाजपायी भी इसी रास्ते में हैं,  पर ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हे इस मामले आरक्षण की आवश्यकता है। खैर हुआ कुछ ऐसा कि माहौल बनने के बाद बात भ्रष्टाचार पर न मुड़ जाये। इसलिये शर्मा जी ने शेरो शायरी की इच्छा जाहिर की। अपने राम शुरू हो गये

कांग्रेसियों की कांग्रेसियत से।
 
भ्रष्टाचार बदनाम तो न होगा

लोकपाल लाओ पर इतना बतला दो।

 कहीं हमें आराम तो नही होगा॥

भ्रष्टाचार का नाम सुनते ही शर्मा जी ने मुंह बनाया।  कहने लगे- " एलिया साहब से चुरा कर मरोड़ कर सुना रहे हो।"  हमने कही- "भाई आम खाओ, पेड़ क्यों गिनते हो।  हमने सुनाई,  अभी हमारी हुई। अब आप जो बियर पी रहे हो,  पूछा है किसने बनाई।  कैसे अनाज को सड़ा कर, उसमे कीड़े लगाकर खमीर उठाया जाता है। बदबूदार माहौल में दुर्गंध के बीच उसे कैसे पैक किया जाता है।  शर्मा जी पीते पीते ठसक गये,  आगे न पी गयी। अपने मियां पीना जारी था।  उन्होने आरोप लगाया- " जब इतनी गंदी चीज है। तो तो आप कैसे पी रहे हो।"  हम मुस्कुराये,  कहा- शर्माजी आप आम जनता की तरह अनजान हो।  आपको पता ही नही कि आप पी क्या रहे हो।  हम सरकार की तरह कैलकुलेटेड रिस्क ले रहे हैं।  हमे पता है,  इसमे गंदगी है,  गरीब का पसीना, आह, पीड़ा मिली हुयी है। पर हमने सरकार की तरह हिसाब लगाया हुआ है। नशा ज्यादा मजा देता है और गंदगी या भ्रष्टाचार है ही नही। कह कर साफ़ नकारा जा सकता है।"

शर्मा जी भड़क गये, बोले- "हर बात मे सरकार को काहे बीच मे लाते हो। हम तो इस ठंडी और खूबसूरत दिखने वाली बियर का मजा लेंगे ही।" हमने - मियां आखिर विज्ञापन में आपके बबलू बाबा दीदी प्रधान मम्मी की तरह के चिकने लोग ही दिखते हैं की नही।  खलमाड़ी टाईप थोड़े होर्डिंग मे आते हैं। यह सोचने साम न चलेगा। बियर के अंदर गंदगी है इसमे कोई शक नही।" शर्मा जी भड़क गये,  बोले-  दवे जी, हमारी पार्टी में हमारी बियर पीकर, हमारी पार्टी को ही भुला बुरा कह रहे हो।" हमने कहा-  "आपसे ही सीखा है भाई। जिस देश ने आपको सिर माथे पर लगाया,  आपकी हर गलती माफ़ की  उससे बेईमानी। फ़िर उसके बाद सीनाजोरी।  हम जैसे देश वासी भी तो यही सीखेंगे न। आप लोगो की तरह खा पी के डकार रहे है अहसान काहे गिनाते हो।

शर्मा जी खड़े हो गये,  कहने लगे-  "हमारी पार्टी के नेताओ ने शहादत दी है इस देश के लिये। महात्मा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक। संघ वाले तो आजादी के आम्दोलन मे थे ही नही। इन विरोधियों ने  किया क्या है देश की आजादी के लिये।"  हमने जवाब दिया-  "भाई मेरे महात्मा गांधी कांग्रेस छोड़ चुके थे। और कितने चुनाव जीतोगे शहादत के नाम पर।  हद हो गयी, एक आम शहीद के परिवार को कितने लाख रूपये मिलते हैं। उतने लाख करोड़ तो आरोप है कि स्विस बैंक में जमा हैं राजपरिवार के। अनुकम्पा नियुक्ती का समय खत्म हो गया भाई,  अब बख्श दो हमें।"

मामला बिगड़ते और  अगली बियर की आशा धूमिल पड़ती देख। आसिफ़ भाई ने  बात घुमाई।  पूछा-  "दवे जी "भ्रष्टाचार से आराम तो नही होगा"  ऐसा क्यों कहा आपने।" हमने कहा- "भाई बात समझो,  भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा तो हम लोगों का जीना ही मुश्किल हो जायेगा। नक्शा पास करवाने से लेकर हर काम में गरीबो की तरह चक्कर लगाने होंगे। अब आम हिंदूस्तानी के लिये यह कितना मुश्किल है।  हर काम मे शार्टकट नस-नस में समाया हुआ है। लोकपाल के डर से कोई सरकारी कर्मचारी दो नंबर का काम ही नही करेगा। तो हम लोग तो जीते जी मारे जायेंगे।"

गुप्ता जी मुफ़्त में मिली तीन बियर डकार चुके थे। भारी  जोश में थे।  बुलंद आवाज मे बोले-  "एक दो तीन चार अन्ना जी की जय जय कार।" फ़िर कहा-  "लोकपाल मस्ट कम आर वुई वुड सफ़र लाईक अनी थिंग।" हम गुप्ता जी के मुंह से धाराप्रवाह अंग्रेजी निकलते देख सावधान हो गये। तीन बियर के बाद उनका अंग्रेजी पेलना शुरू हुआ। मतलब उनको वापस होम ग्राउंड पहुंचाये बिना, उनसे मुक्ति पाना अंसंभव था। सो उनकी उतारने के लिहाज से हमने उन्हे टोका- "सोच लो गुप्ता जी। फ़िर हमको सारे काम नियम से करने होंगे।" उनको बात मंजूर थी, बोले- यस, टाईम हैस कम टु बिकम हानेस्ट।"  हमने घोषणा की - भाईयों, घर लौटते समय गुप्ता जी पैदल जायेंगे। दस किलोमीटर पैदल चलने की बात सुन। गुप्ता जी तुरंत होश में आ गये। भड़ककर हिंदी में बोले- "मैं पैदल क्यों जाउं, जिसको बियर लग गई हो वो जाये।" हमने कहा- मिस्टर गुप्ता ड्रंक ड्राईविंग इस अनलाफ़ुल। गुप्ता जी ने हिंदी का दामन न छोड़ा, चीत्कार कर बोले - भाई , अभी लोकपाल बिल आया कहां है,  एक बार आ जाये। फ़िर नेताओं की तरह हम भी सुधर जायेंगे


मित्रो यह तो लोकपाल पर  हल्की फ़ुल्की दिल्लगी थी।  पर इससे निकली गंभीर बात यही है कि हमें यदि भ्रष्टाचार को भारत से दूर भगाना है तो शुरूवात खुद से ही करनी होगी। जमीनी स्तर से  भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ने से ही भ्रष्टाचार खत्म होगा। और बाकी पच्चीस जुलाई  से महायुद्ध तो छिड़ने वाला ही है। आप सभी से अनुरोध है कि आगे बढ़, अन्ना हजारे और उनकी टीम का साथ दे। वरना कतील शिफ़ाई का यह शेर सदैव हमारा मुंह चिढ़ाता रहेगा-                                              
                  हमने तो कतील सा मुनासिफ़ नही देखा ।
                  जो जुल्म तो सहता है पर बगावत नही करता ॥

जात और धर्म से,  अपनी पसंद के राजनैतिक दलो से उपर उठ भ्रष्टाचार के विरोध में और कड़े कानूनो की मांग को लेकर विशाल आंदोलन किये बिना यह देश राहत नही पा सकता।

                                         

Monday, August 8, 2011

शीला---- शीला का बुढ़ापा

हम नुक्कड़ मे खड़े गुनगुना रहे थे शीला---- शीला का बुढ़ापा।  तभी हमारे अजीज मित्र सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने भूल सुधार का प्रयास किया।  कहने लगे-  दवे जी शीला का बुढ़ापा नही जवानी गाईये।  हम मुस्कुराये कहा,  भाई जवानी वाली शीला किसी काम न आनी, बुढ़ापे वाली शीला सबके काम आती है। शर्मा जी ने आरोप लगा दिया आप महिलाओं के बारे मे अपमान जनक शब्द कह रहे हैं। हमने कहा भाई कांग्रेस प्रवक्ता टाईप बे सिरपैर की बयानबाजी मत करो,  हमारे कहने का मतलब समझो।  देखो जवान आदमी हो या औरत हरदम निजी स्वार्थ देखता है। उम्रदराज होने के बाद मन मे दया करूणा आ जाती हैकिसी ने कुछ मांगा नही कि झट से दे दिया। महिलाएं तो खासकर दरवाजे पर आवाज आई "कुछ खाने को दे दे माई" और तड़ से झोली भर दी


अब आप सोचो जवान शीला को ऐसी आवाज सुनाई देगी तो सोचेगी कि कोई सिरफ़िरा आशिक होगा एक झलक पाना चाहता होगा। उससे भी पहले भड़क जायेगी भरी जवानी मे माई बोल दिया। इतना सुन शर्मा जी सहमत हो गये बोले - बात मे दम तो है आपकी।  बुढ़ापे मे ही आदमी दूसरों के काम आता है, जवानी मे केवल अपने बारे मे सोचता है।  हमने कहा-  शर्मा जी यह बात समझ लेते तो कभी बूढ़ो को मंत्री नही बनाते।  खासकर बुजुर्ग महिलाओं को तो कभी मुख्यमंत्री नही बना चाहिये बड़ी रहमदिल होती हैं।  अपनी शीला जी को ही ले लो कामनवेल्थ गेम्स के समय जो ठेकेदार अधिकारी दलाल आकर मांगा नही की तड़ से दे दिया। अब बेटे के दोस्त भी पुत्रवत होते हैं,  उनको तो मना ही नही कर पायीं।  पार्टी के सगे संबंधियो को भी दिल खोल उपहार दिये।

अब देखो कैग रिपोर्ट मे आ गयी सब बात सामने।  अब बेचारी शीला जी पर आरोप है कि  गरीब देश को अरबो रूपये का चूना लगा दिया।  अब बुढ़ापे मे फ़जीहत और इस्तीफ़ा देना पड़ेगा वो अलग कहीं तिहाड़ जाना पड़ गया तो बेचारीं इस उमर मे कितना कष्ट पायेंगी।  शर्मा जी भड़क गये आप भी एकाउंटेंट की बात मे आते हो।  इन लोगो को रखा गया है कि किसी मद मे कम ज्यादा खर्च हो तो बात सामने लाये अब ये लोग होशियारी झाड़ रहे हैं। यहां नुकसान हो गया वहां ये हो गया।  अरे भाई कभी नौकर मालिक को बताता है कि आप  गलत कर रहे हो। अब रिपोर्ट आयी है देखेंगे, अधिकारी बाबू लोगों की गलती है सब दोषी को सजा दे देंगे।  शीला जी ने कुछ थोड़े ही किया है।  अभी रिपोर्ट पीएसी मे जायेगी वहा जांच की जायेगी।


हमने कहा भाई पीएसी की रिपोर्ट तो आप लोग पास ही नही होने देते हो।  पिछली बार तो मनमाने नया अध्यक्ष ही चुन लिया था।  इस पर रिपोर्ट आयेगी को तमाशा मचा कर उसे भी रोक दोगे।  शर्मा जी ने सिर हिलाया कहने लगे भाई हम नही बहुमत रिपोर्ट रोकता है। अब जब बहुमत को रिपोर्ट पसंद नही आये तो क्या किया जा सकता है।  हमने कहा ऐसे मे तो कोई आरोपी जब तक उसकी सरकार रहेगी फ़सेगा ही नहीं।  शर्मा जी फ़िर संविधान की कापी लहराने लगे बोले -  भाई हम लोग तो धर्मनिरपेक्ष नेता हैं,  गीता कुरान बाईबिल को मानते नही।  संविधान ही हमारा धार्मिक ग्रंथ है,  इसमे जो लिखा है वही सच है बस।  हमने कहा जिन्होने लिखा वो तो रहे नही वो आज होते तो पूरा ही बदल देते।  शर्मा जी ने पूछा ऐसा आप किस आधार पर ऐसा  दावा कर रहे हो ।  हमने कहा जिन नेताओं के लिये ये संविधान लिखा गया था जब वे ही नही रहे नैतिकता इमानदारी सदचरित्र ही नही रहा तो ये संविधान काम करे कैसे।  शर्मा जी ने हाथ जोड़े - दवे जी मेरा बहुत खून पी चुके आप,  ये समस्या जनता की है नेताओं की नही।  अब आप लोग मिल बैठ कर सर खपाओ,  अपने राम चले संसद वहां बैठ पांच रूपये मे खीर पूड़ी सूतेंगे तब अपना खून वापस आयेगा

उनके जाने के बाद हमने आसिफ़ भाई से पूछा-  मियां, ये लोग दागियों से इस्तीफ़ा दिलवा क्यों नही देते।  हमारा कम से कम मन तो बहल जाये।  आसिफ़ भाई मुस्कुरा कर बोले-  भाई,  इन लोगो को कहीं तो बस करना होगा।  जितनो से इस्तीफ़ा दिलवायेंगे फ़िर नये नाम सामने आ जायेंगे,  आखिर लाईन इनकी प्यारी मम्मी और बाबा तक लंबी है

Thursday, August 4, 2011

प्यारी मम्मी की बीमारी हमें पता है

भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी नुक्कड़ मे जिम टाईप शरीर हिला रहे थे। हम पूछ बैठे क्यों भाई अन्ना के आंदोलन को कुचलने की तैयारी है क्या।  शर्मा जी ने पूछा - कौन अन्ना भाई,  हमने कहा सोलह अगस्त आने दो कलमाड़ी टाईप  याददाश्त वापस आ जायेगी।  शर्मा जी ने सिर हिलाया - मियां तुम भी कहां लगे हो,  इतना सेना पुलिस को तनख्वाह काहे दिया जाता है।  उनका सरदर्द है वो संभालेंगे सुप्रीम कोर्ट मे बात जायेगा तो जवाब भी वही लोग देंगे। हम लोग काहे सर दुखायें बाकी संसद तो चल ही रही है,  विपक्षी भी अपने ही टाईप के लोग हैं जो पूछते हैं जवाब दे दिया जाता है।

हमने पूछा फ़िर तैयारी कहां की है आपकी, तो जवाब मिला भाई कभी भी अमेरिका जाना पड़ सकता है। अपनी प्यारी मम्मी बीमार हैं, वहां भर्ती हैं। हम आश्चर्य मे पड़ गये,  कहा - हमे तो पता ही नही था कब बीमार हुयीं और बीमारी क्या है। शर्माजी ने कहा- वह नही बता सकते। हमने पूछा ये कौन सी बात हुयी भाई बीमारी का नाम बताओगे तो लोग सलाह देंगे,  एक से एक थिंकटैंक हैं देश मे। अपना बाबा भी खाली है आजकल,  पतंजली मे ही भरती करवा देंगे। ईडी से लेकर सीबीआई तक सारों ने दफ़्तर भी खोल रखे हैं।  वहां काम काज मे कोई दिक्कते नही आयेगा। और लगे हाथ बाबा से दोस्ती भी हो जायेगी। शर्मा जी बोले-  नही भाई, अमेरिका ही सही हैं वहां अच्छा इलाज होता है। हमने पूछ लिया-  साठ साल के सुशासन के बाद भी भारत मे अच्छे डाक्टर नही बना पाये क्या?  या अस्पतालों की हालत ऐसी नहीं की मम्मी का इलाज हो सके।  बाहर तो बड़े एड देते हो सीएनएन को बीबीसी को कि भारत मे मेडिकल टूरिज्म है,  सस्ता और बेहतरीन इलाज होता है। शर्मा जी ने तर्क दिया - नयी तकनीक आयी है अमेरिका मे, अभी अभी अविष्कार हुआ है। हम ने कुतर्क जड़ दिया-  भाई तकनीक भारत मे आयात कर लो मम्मी के बहाने लगे हांथ गरीबो का भला हो जायेगा मम्मी ।

शर्मा जी ने कहा भाई जल्दबाजी में इलाज करवाना पड़ गया,  वैसे आपका आईडीया अच्छा है आगे हम अपनाएंगे। हमने कहा बीमारी का नाम तो बता दो भाई। शर्मा जी भुनभुनाये-  नही बता सकते देश मे अराजकता फ़ैलने का खतरा  है।  आसाराम बापू को गिरफ़्तार करने जैसे हालात हो जायेंगे।  हमने कहा हमको  पता है उस भयंकर बीमारी का नाम अन्ना हजारेस लोकपालाईटिस है।  आंदोलन कहीं भड़क गया,  कुचलने की नौबत आ गयी।  तो आपकी मम्मी तो रहेंगी नही वो तो बेहोश होंगी उस समय।  जब होश आयेगा तो उन्हे बड़ा अफ़सोस होगा,  हो सकता है गुस्से मे आकर दो चार मंत्रियों को बाहर भी निकाल दें।  बाबा और दीदी भी बाहर ही रहेंगे उस समय बड़ा जबर्दस्त समय है बीमार पड़ने के लिये।

शर्मा जी भड़क गये-   आपको शर्म नही आती ऐसी बातें करते हुये।  हमने कहा-  शर्मा जी,  शर्मा शर्मा के हम अब बेशरम हो गये हैं। किस किस चीज पर शर्माएं घोटालो पर , गरीबी पर,  संसद पर लहराते नोटो पर,  तिहाड़ मे बल खाते नेताओं पर या तुम्हारे नेताओ की चोरी के बाद सीनाजोरी पर।  यह सोच मेरी नही है भाई यह सोच बनाई गयी है,  आप लोगों के द्वारा आप अन्ना के आंदोलन को असफ़ल करने के लिये किस हद तक जा सकते हो सोच पाना भी मुश्किल है। और एक बात और सुन लो जो आवाजें आपको आज सुनाई पड़ रही हैं।  वो अन्ना के  समर्थन की नही हैं आपके असमर्थन की हैं।  देश  पिछली बेईमानियों का हिसाब नही मांग रहा है, आगे से न हो पायें इसके लिये आपके हाथ जोड़ रहा है। आप लोग  एकदम कड़े कानून के साथ खड़े हो जाओ कोई झांकेगा भी नही अन्ना के आंदोलन पर।  सरकार की असफ़लता देश को अराजकता की ओर धकेल रही है।

हम आगे कुछ कहते कि शर्मा जी ने रोका,  संविधान दिखाया और कहा-  देखो इसमे साफ़ साफ़ लिखा है हमें सिर्फ़ संसद मे कही बात सुनना है।  और केवल सांसदो के सवाल का जवाब देना है। आप खड़े चिल्लाते रहो तब तक हम अपनी प्यारी मम्मी के स्वास्थ लाभ की पूजा पूरी कर आते हैं।





इतना कह शर्मा जी निकल लिये और हम खड़े खड़े सोचते रह गये कि प्यारी मम्मी अपने साथ लोकतंत्र को भी अमेरिका ले जातीं तो दोनो की सर्जरी एक साथ हो जाती, बिल तो आखिर जनता को ही भरना है


Wednesday, August 3, 2011

क्वीन मदर और लार्ड मन्नू बेटन सिंग

नुक्क्ड़गंज के कांग्रेसमेन सर सोहन शर्मा अपनी कांस्टीटुएन्सी नुक्कड़गंज पधारे हुये थे। वे स्वयं क्वीन मदर हर एक्सीलेंसी सोनियाबेथ के द्वारा नामांकित किये गये प्रतिनिधी थे।  उन्होने प्रजा का हाल जानने की इच्छा से सर सोहन शर्मा को भेजा था।  नुक्कड़गंज पहुंचते ही उन्हें हमने घेर लिया   महंगाई, भ्रष्टाचार, घोटालों की पूरी कथा सुनाई, यह भी कहा कि वायसराय लार्ड मन्नू बेटन सिंग अपना कर्तव्य निभाने में असफ़ल रहें हैं।

मन्नू बेटन सिंग के लिये लार्ड और वायसराय का संबोधन सुनते ही वे भड़क गये।  कहने लगे दवे जी आजादी के बाद ऐसे शब्दो का प्रयोग करने पर आप को जेल की सजा हो सकती है।   हमने हाथ जोड़ माफ़ी मांगी, पूछा क्या संबोधन का प्रयोग करें हुजूर।  उन्होनें बताया कि आजादी के बाद लार्ड की जगह आदरणीय और वायसराय की जगह प्रधानमंत्री शब्द का प्रयोग करना तय किया गया है।  हमने सहमते हुये पूछ लिया पर हुजूर आजादी तो हम को मिली नही आज तक।

वे फ़िर भड़क गये आपका दिमाग तो खराब नही हो गया!  लार्ड माउंटबेटन की जगह आदरणीय मन्नूबेटन सिंग आ गये,  क्वीन एलिजाबेथ की जगह क्वीन सोनियाबेथ आ गयीं।  लूट का पैसा ब्रिटेन नही जा रहा,  चुनाव होते हैं,  संविधान बन गया।  और कैसी आजादी चाहिये आप लोगों को।  हमने धीरे से कहा चुनाव तो तथाकथित आजादी के पहले भी होते थे।  संविधान भी था और आज का संविधान तो 99% उस संविधान से मिलता है| खाली मामूली हेरफ़ेर कर देने से संविधान नया थोड़े ही हो जाता है।  घोटाले और लूट भी हो ही रही है,  पैसा तो आज भी जा रहा है ब्रिटेन के बदले स्विटजरलैंड।

सर सोहन शर्मा फ़िर नाराज हो गये, अरे पूरी दुनिया मे अच्छे नियम तो एक जैसे ही होते हैं कि नहीं।  अरे भाई जब सही नियम मुफ़्त मे मिल रहें हों,  कोई क्यों खर्चा करे उन्ही नियमो को बनवाने के लिये।  चुनावों मे कितना सुधार हो गया है।  एक से एक राजवंश सामने रहते हैं स्व्यंवर मे,  जिसको मर्जी माला पहना दो। ये थोड़े है कि कोई हाथ पकड़ रहा है।  अब आप लोगो को यूरोपीय क्वीन ही अच्छी लगती हैं,  तो क्या गलती क्वीन की है। अब तो उन्होने आधे भारतीय और दिखने मे पूरे यूरोपीय राजकुमार राजकुमारी भी दे दिये हैं।   एहसान मानना छोड़ शिकायत करते हो शर्म नही आती।  और लूट कहते हो अरे भाई पूरा साम्राज्य ही जिसका है,  वो क्यों लूटेगा भला।  आप अपने घर मे चोरी करते हो क्या,  घर आपका पैसा आपका जितना मर्जी ले लो कौन रोकेगा आपको।  रही बात विदेशो मे पैसा जमा करने की, तो सारे पैसे देश मे रखना ठीक नही। जाने कब देश भूकंप मे तबाह हो जाये,  सारे पैसे पानी में डूब जाये सो कुछ पैसे विदेश में जमा रखते हैं,  आड़े वक्त के लिये ।

हम फ़िर भुनभुनाये चलो क्वीन मदर जो चाहे खर्चा करें,  उनके परिवार जन जितना चाहे ले लें पर बाकियों के भ्रष्टाचार पर तो रोक लगनी चाहिये न।  सर सोहन शर्मा मुस्कुराये - बोले, आपने इतिहास नही पढ़ा क्या भाई । हर राजा रानी के पास सामंत मंत्री होते हैं, अब वे  अपने खर्चों के लिये  क्वीनमदर को परेशान करें,  यह भी तो सही नहीं।  इसलिये सभी को जागीरें दे दी गयीं हैं।  किसी को कोयला किसी तेल किसी को परिवहन,  वे  जब खर्चे से ज्यादा पैसा लेकर गड़बड़ी करते हैं,  नाम क्वीन मदर का खराब हो जाता है।  ऐसे सामंतो को पकड़े जाने पर जेल भेज दिया जाता है।  हर राजमहल मे एक दो मुहलगे सामंत भी होते हैं,  जैसे अपनी शीलादीत जीं , चिद्दीबम जी, कुटिल जी । अब उनको ही जेल भेज दें,  तो क्वीन मदर का दिल ही न लगे,  इस लिये माफ़ कर देतीं हैं।  वैसे भी उनकी रहमदिली से तो आप भी वाकिफ़ हो।

हम कुछ कहते उसके पहले सर सोहन शर्मा हमें बोले - यार क्यों अपना और लोगो का दिमाग खराब करते हो  अखबार खोल ले विज्ञापन की व्यवस्था करवा दी जायेगी,  खा पी मजे कर। नही मानना और कोसना ही है,  तो भगवान को कोसा करो।  राज करने का काम उन्होने ही राजवंशो और सामंतो को सौंपा है।  अगर तुम्हारा भला करने की चाहते तो क्वीन मदर के यहां जन्म नही करवा देते ।