Monday, July 2, 2012

हिंदुत्ववादी जादूगर या सेक्यूलर जादूगर


हिंदुत्ववादी जादूगर या सेकुलर जादूगर

अरूणेश सी दवे


हिंदुस्तान का पैसठ साल के सफ़र में खूब विकास हुआ है। गरीब की रोजी सौ रूपया हो गयी, अंबानी का बंगला सौ करोड़ का हो गया। ऐसा तुलनात्मक विकास किसी नेता का ताउ भी नही कर पाता, रोजी अस्सी रह जाती या बंगला अस्सी करोड़ का। दरअसल  ये काम जादूगरों का है। आखिर किसी भी महान लोकतंत्र में सभी का  एक गति से विकास होना चाहिये इस आदिकालीन सिद्धांत को न समझने के  कारण ही न इन कम्यनिस्टों का बेड़ा गर्क है। एड़ी अलगा अलगा के चीखेंगे- "भाईयो देखो कितना शोषण हो रहा है!" अरे भाई उस आदमी को खोजो  जिसने इंसान के बापू के हाथ में लिख दिया था- "तुम्हारे दो बच्चे एक से कभी नही होंगे।" मान लो सबकी कमाई एक बराबर हो भी जाये तो कहेंगे - "देखो कितना असंतुलन है। अभिताभ बच्चन छह फ़ुट का, तो मंगलू आदिवासी पांच फ़ुट का।"
वैसे इस देश में कोई समाजवाद का जादू दिखा, जी से श्रद्धेय में प्रमोट हो गया, तो कोई गरीबी हटाओ में। आधी रात में स्वाधीनता का सूरज उगा, नेहरूजी  ने जिस जादुई खानदान की स्थापना की, वो हैरी पॉटर के जादुई विश्वविद्यालय के कुलपति का बाप भी नही कर पाता। कम्यनिस्टो से लेकर लोहिया, जे.पी. सब  एड़ी-चोटी का जोर लगाकर कोस लिये, खूब ताली बटोर लिये, लेकिन जब हराकर अपना जादू दिखाने का मौका आयानतीजा टांय-टांय-फ़िस्स। भाजपाई ठीक-ठाक  जादू का खेल दिखा ही दिये थे, लेकिन चुनाव के समय "इंडिया शानिंग" चिल्ला दिये। अमीर सोचे- "गरीब लोग शाईनिंग हो गये, हम छूट गये। गरीब सोचे कि  अमीरो को शाईन कर दिये, हम छूट गये। दोनो ने वोट नही दिया। नतीजा वही अब आठ साल से बैठे हैं बाहर।
आज  कांग्रेस का जादू फ़ेल हो चुका है, और देश को नये जादूगर की जरूरत है। जादूगर ऐसा होना चहिये कि जनता के आखो में जादुई सपने तैरते रहें। देश मे संतुलित विकास के जरिये अमीरो गरीबो और महंगाई के बीच का जादुई संतुलन बरकरार रहे, पर जनता का ध्यान जादू से हट जादूगर की ओर मोड़ा  जा रहा है।  बाबा योगानन्द  चार सौ लाख करोड़ का काला जादू दिखा रहें है। उनके मुताबिक देश को फ़िर किसी जादू और जादूगर की ज़रुरत नही पड़ेगी।  पर बाबा  रामलीला की लीला के बाद ढीले हो चुके है।  देश में नयी बहस छिड़ चुकी है कि अगला जादूगर सेक्यूलर होना चाहिये कि हिंदुत्ववादी। याने देश में छाये भ्रष्टाचार, नक्सलवाद, महंगाई, आर्थिक मंदी  पर भले जादू काम करे या न करे, पर जादूगर कैसा हो, यह ज्यादा बड़ी प्राथमिकता है। हिंदुत्ववादी होगा तो उसके जादू का असर सिर्फ़ हिंदुओ पर होगा।  सेकुलर बोले तो उसके जादू के असर पर पहला अधिकार अल्पसंख्यको का होगा। खैर साहब "इंडिया सर ये चीज घुरंघर रंगरंगीला परजातंतर" वाली बात इस देश पर बरोबर फ़िट बैठती है।  अब  जादू मत  देखिये और जादूगरो के रंग देखिये वो भी ईस्टमेन कलर में।
Comments
1 Comments

1 comments:

  1. चाहे फट जाय हमारी-
    धरती ||
    भ्रष्टाचार, नक्सलवाद, महंगाई, आर्थिक मंदी |
    की हरकतें हो जाएँ चाहे जितनी गन्दी |
    गे को क़ानूनी हक़ दिलाएंगे -
    आतंकवादी को बचायेंगे-
    यूरोप की मदद -
    लेकिन हिन्दुत्ववादी की हद -
    हद हो गई |
    हैरी पोटर का जोकर है न |

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